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उज्जैन. शिव की नगरी में शिवलिंग की प्रतिकृति अद्भुत-अनुपम भवन लगभग तैयार हो गया है। इसके अंतिम रूप दिया जा रहा है। परिसर में 182 फीट ऊंचे स्तम्भ पर त्रिशुल स्थापित किया जाएगा। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के भवन का लोकार्पण गंगा दशहरे पर होगा।
आकार हुबहू शिवलिंग जैसा
शिवलिंग आकार का भवन माधवनगर रेलवे स्टेशन के काफी करीब प्राचीन नीलगंगा सरोवर के किनारे करीब 40 हजार वर्गफीट जमीन पर तैयार हो रहा है। भूतल सहित चार मंजिलों वाले इस भवन की खूबी यह है कि इसका आकार हुबहू शिवलिंग जैसा है। भवन के आकार में निर्मित जलाधारी के सबसे ऊपर शिवलिंग की आकृति होगी। सिंहस्थ 2016 के समापन के बाद से ही इसका निर्माण आरंभ हो गया था जो अब अंतिम चरण में है। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के साधु-संतों के लिए शिवलिंग आकार का अपनी तरह के प्रदेश के इस पहले भवन में करीब 50 कक्ष होंगे। 5 करोड़ की लागत के इस भवन का 28 फीसदी निर्माण पूरा हो चुका है। इसके पूर्ण होते ही धार्मिक नगरी में एक नया अध्याय जुडऩे जा रहा है। शिव की नगरी में यह भवन अनुपम और अद्भुत उज्जैन आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। जूना अखाड़े से जुड़े साधु- संत यहां विश्राम कर साधना.आराधना कर सकेंगे।
सबसे ऊंचा त्रिशुल स्तम्भ
नीलगंगा में बनाए जा रहे जूना अखाड़ा के भवन में शहर का सबसे ऊंचा 182 फीट का त्रिशुल स्तम्भ बनाया गया है। शिवलिंग आकार के चार मंजिला भवन का निर्माण अंतिम दौर में पहुंच गया है। स्तम्भ पर त्रिशूल लगाया है। यहां भगवा ध्वज भी लहराएगा। नीलगंगा सरोवर में गंगा माता की प्रतिमा तक भी अब लोग पुल से होकर जा सकेंगे। पुल का निर्माण हो गया है। सरोवर में अंजनी माता (हनुमानजी की माताजी ) और शिव प्रतिमा की भी स्थापना होगी। इस सरोवर को अंजनी सरोवर भी कहा जाता है।
महामंडलेश्वर शैलेषानंदगिरि होगे पीठाधीश्वर
नीलगंगा सरोवर किनारे स्थित नीलगंगा सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर शैलेषानंदगिरि होगे। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने सिद्धपीठ और शिवलिंग आकार के भवन का पीठाधीश्वर सोमनाथ गिरि महायोगी पायलट बाबा को नियुक्त करने का निर्णय लिया था। लेकिन पायलट बाबा ने अपने शिष्य शैलेषानंदगिरि को पीठाधीश्वर नियुक्त करने का सुझाव अखाड़े को दिया था। अखाड़े ने पायलट बाबा की मंशा को मानते हुए परस्पर सहमति और समन्वय से शैलेषानंदगिरि को पीठाधीश्वर बनाने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को इसकी विधिवत घोषणा अखाड़े की ओर से की गई। इसके बाद महामंडलेश्वर शैलेषानंदगिरि महाराज ने जूना अखाड़ा भवन स्थित शिवलिंग पर पूजन और जलाभिषेक किया। इस मौके पर शैलेषानंदगिरि के कई अनुयायी और भक्त मौजूद थे।
अखाड़ा परिषद का भवन भी
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का कार्यालय के भवन का निर्माण नीलगंगा पड़ाव स्थल पर किया जा रहा है। कार्यालय बनाने के बाद परिषद से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के संचालन की स्थायी व्यवस्था हो जाएगी। अखाड़ा परिषद साधु संतों के १३ प्रमुख आंकड़ों की प्रमुख संस्था है विभिन्न कुंभ और सिहंस्थ की व्यवस्थाएं अखाड़ा परिषद द्वारा ही तय की जाती है। संबंधित राज्य की सरकार व प्रशासन की अखाड़ा परिषद से समन्वय कर कुंभ और सिहंस्थ की व्यवस्था और कार्य योजना को अंतिम रूप देता है। अखाड़ा परिषद का अब तक कोई स्थायी कार्यालय नहीं था। सिहंस्थ 2016 में परिषद के कार्यालय का सुझाव आया था। इसके बाद अखाड़ा परिषद ने नीलगंगा पड़ाव स्थल के पास जमीन खरीदकर कार्यालय का भवन बनाने का फैसला किया। संत निवास का निर्माण भी नीलगंगा पड़ाव स्थल पर ही 20 लाख की लागत से संत निवास का निर्माण भी किया जा रहा है। सर्व सुविधायुक्त इस भवन में परिषद के पदाधिकारियों के कक्ष के अलावा साधु-संतों के ठहरने के लिए संत निवास का निर्माण भी किया जा रहा है।
Published on:
25 May 2019 07:10 am
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