8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बच्चों को भी घेर रही कोरोना की दूसरी लहर, औसत रोज 6 संक्रमित

second wave: एक सप्ताह में ही 45 बच्चों को हुआ कोरोना, लक्षण कम इसलिए घर पर रख ही किया जा रहा उपचार

2 min read
Google source verification
child.png

उज्जैन। कोरोना की दूसरी ही लहर में बच्चे भी हो रहे हैं संक्रमित।

उज्जैन. स्कूल बंद, कोचिंग बंद और प्ले ग्राउंड भी बंद होने के बावजूद, इस बार कोरोना की चपेट में आने वालों में बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। स्थिति यह है कि रोज औसत 6-7 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।

यह भी पढ़ेंः Corona Effect : कोरोना वायरस की चपेट में आया 2 साल का मासूम, इस तरह रखें अपने बच्चों का ख्याल

हालांकि अधिकांश बच्चों में लक्षण कम होने के कारण इनका घर पर ही उपचार हो पा रहा है लेकिन इतनी संख्या में बच्चों का संक्रमित होना, चिंताजनक है।

कई विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आती है तो उसमें सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हो सकते हैं। दूसरी लहर में भी बच्चे संक्रमण से अछूते नहीं हैं। मई के एक सप्ताह में ही कुल संक्रमितों में से 2 से 12 वर्ष की उम्र के करीब 45 मरीज मिले हैं। मसलन औसत रोज 6 से ज्यादा बच्चे कोरोना संक्रमित हो रहे हैं।

यह भी पढ़ेंः 100 साल की महिला और 2 माह के शिशु ने दी कोरोना को मात, इस तरह हुआ इनका इलाज

कम लक्षण, घर पर हो रहे स्वस्थ

चिकित्सकीय विशेषज्ञों की माने तो संक्रमण की दूसरी लहर में तुलनात्मक बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने के मामले बढ़े हैं लेकिन इनके गंभीर होने की स्थिति कम बनी है। अधिकांश मामलों में बच्चों में कम लक्षण पाए गए हैं। इसके चलते उन्हें घर पर ही रख उपचार देना संभव हो पा रहा है। कुछ मामलों में ही बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति बनी है। बावजूद बच्चों को लेकर और सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि उन्हें संक्रमण से दूर रखा जा सके।

यह भी पढ़ेंः Fake Remdesivir: सामने आई सच्चाई: नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से हुई दो मौतें

बड़े मरीज तुरंत स्वयं को करें क्वारिंटीन

अधिकांश मामलों में बड़ों से बच्चों में संक्रमण फैलना कारण सामने आया है। इसलिए परिवार में यदि किसी को भी सर्दी-जुखाम, बुखार या कोरोना संबंधित अन्य लक्षण महसूस होते हैं तो उपचार करवाने के साथ ही तुरंत स्वयं को अलग कमरे में क्वॉरंटीन कर लेना चाहिए। इससे परिवार के अन्य सदस्य और विशेषकर बच्चे संक्रमित होने से बच सकते हैं। इक्का-दुक्का को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कोरोना संक्रमित बच्चों को होम आइसोलेशन में रख उपचार दिया जा रहा है। उपचार में शहर के शिशु रोग विशेषज्ञों भी अभिभावकों का सहयोग कर रहे हैं। - डॉ. रौनक एलची, रैपीड रिस्पोंस टीम प्रभारी उज्जैन

यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश की बेटी 'रामयुग' वेबसीरीज में निभा रही सीता का किरदार, बालमंच से मिली राष्ट्रीय पहचान