डॉ. कपूर ने बुलिंग, फिशिंग, स्टॉकिंग, ग्रूमिंग के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। वह बोले, साइबर अपराध की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। महिलाएं और बच्चे साइबर अपराधियों के आसान शिकार होते हैं क्योंकि उन्हें अच्छे-बुरे का अंतर करना नहीं आता। जल्द ही झांसे में आ जाते हैं। इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। डॉ. कपूर बोले, प्राचार्य ऐसा माध्यम है, जो स्कूली बच्चों को साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूक कर सकते हैं। साइबर अपराधों को नियंत्रित करने व दुष्प्रभावों से बचने का सशक्त माध्यम जागरूकता है।
डॉ. कपूर बोले, वर्तमान दौर में बच्चों के इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई करने का दायरा बढ़ते जा रहा है। इसी कारण वह सोशल मीडिया पर भी बहुत समय व्यतित करते हैं। ऑनलाइन गेमिंग की प्रवृत्ति भी बढ़ते जा रही है, जो उनके भविष्य के लिए घातक हो सकती है। प्राचार्यगणों ने अपनी जिज्ञासाओं प्रश्नों के माध्यम से रखा, जिनका समाधान डॉं. कपूर ने किया।
ओजस्वी अभियान की कार्यशाला में जिले के शासकीय और अशासकीय स्कूलों के 453 प्राचार्यों को प्रशिक्षण दिया गया। बच्चों को साइबर अपराधों से सतर्क करने के साथ जागरूक बनाने के टिप्स साझा किए गए। कार्यशाला में मुख्य रूप से जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा एवं एएसओ संगीता श्रीवास्तव व अन्य उपस्थित थे। कार्यशाला की शुरुआत में एएसओ संगीता श्रीवास्तव एवं प्राचार्य संदीप त्रिवेदी ने कपूर को माला भेंटकर स्वागत किया। कार्यशाला के अंत में डीईओ शर्मा ने डॉ. कपूर को प्रमाण पत्र भेंट किया। कार्यशाला में निरीक्षक पूनम राठौर व उनकी टीम की अहम भूमिका रही।
ये टिप्स साइबर क्राइम से बचाएंगे
साइबर अपराध क्या है, इससे बच्चे अनभिज्ञ होते हैं। बच्चों को जागरूक करने के लिए समझाएं और समय-सीमा तय करें।
– इंटरनेट का उपयोग आवश्यकतानुरूप पढ़ाई के लिए करें।
– सोशल मिडिया और ऑनलाइन गेमिंग के लिए समय निर्धारित करें।
– सायबर स्पेस का उपयोग करते समय शार्टकट एवं लालच से बचें।
– जांचे बिना सॉफ्टवेयर, ऐप, गेम डाउनलोट या इंस्टाल न करें।
– अनजान व्यक्ति द्वारा भेजी गई लिंक को क्लिक न करें।
– किसी भी वेबसाइट्स पर अपनी निजी जानकारी शेयर न करें।
– सोशल मीडिया में अपनी प्रोफाइल को लॉक रखें।
– मजबूत पासवर्ड बनाएं और समय-समय पर बदलते रहे।
– सुरक्षित नेटवर्क का उपयोग करें। कॉमन प्लेस के वाई-फाई का उपयोग करने से बचें।