
उज्जैन.श्रद्धा और आस्था से भरपूर महाकाल मंदिर उज्जैन में स्थित है। उज्जैन शिव नगरी नाम से भी जाना जाता हैं. सालभर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती हैं। देश भर में भगवान शिव के 12 ज्योंतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में हैं। दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को यहां दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं।
भस्म आरती और महाकाल के दर्शन के लिए यहां देश-दुनिया से आने वालों का हुजूम लगा रहता हैं। सुबह के वक्त यहां होने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध हैं। श्रद्धालु महाकाल का दर्शन करने से पहले बाबा काल भैरव का दर्शन करते हैं। उज्जैन से आठ किलोमीटर दूर कालभैरव के इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि अगर कोई उज्जैन आकर महाकाल के दर्शन करे और कालभैरव न जाए तो उसे महाकाल के दर्शन का आधा ही लाभ मिलता है।
प्रसाद में लगता हैं मदिरा का भोग
उज्जैन के भैरवगढ़ में स्थित इस मंदिर में शिव अपने भैरव स्वरूप में विराजते हैं। वैसे तो भगवान शिव का भैरव स्वरूप अवतार रौद्र रूपी हैं। लेकिन वह अपने भक्तों की करुण पुकार सुनकर उनकी मदद के लिए दौड़े चले आते हैं। यहां पर प्रसाद के तौर पर मुख्य रूप से मदिरा चढ़ाई जाती हैं। मंदिर के पुजारी तश्करी में मदिरा रखकर काल भैरव के मुख के पास जैसे ही ले जाते हैं। पलक झपकते ही तश्करी में रखी मदिरा खाली हो जाती है। आंखों के सामने हुई इस चमत्कारी घटना को देखकर हर कोई हैरान रह जाता हैं. बाबा काल भैरव के मंदिर में मदिरा के आलावा बेसन के लड्डू और चूरमे का भोग भी लगता हैं।
हर मनोकामना होती हैं पूरी
भगवान कालभैरव को उज्जैयनी का सेनापति कहा जाता है। मान्यता के मुताबिक कालभैरव ही महाकाल नगरी की देखरेख करते हैं।मंदिर में दो बार आरती होती है पहली आरती सुबह साढ़े आठ बजे और दूसरी आरती शाम साढ़े आठ बजे होती है। कालभैरव का चमत्कार जितना अचंभित करने वाला है उतनी ही उनके उज्जैन में बसने की कहानी भी है। कहा जाता है कि यहां मराठा काल में महादजी सिंधिया ने युद्ध में विजयी होने पर भगवान को अपनी पगड़ी अर्पित की थी। उन्होंने भगवान से युद्ध में अपनी जीत की प्रार्थना की थी और कहा था कि युद्ध में विजयी होने के बाद वे मंदिर का जीर्णोद्धार कराएंगे। कालभैरव की कृपा से महादजी सिंधिया युद्धों में विजय हासिल करते चले गए। इसके बाद उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। तब से मराठा सरदारों की पगड़ी भगवान कालभैरव के शीश पर पहनाई जाती है।
Published on:
02 Jul 2022 08:17 pm
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