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जैसा सोचा था, क्या वैसा हो पाएगा कार्तिक मेला

कार्तिक मेलाबारिश ने लगाया अल्प विराम, कच्चे मार्ग और पुराने मंच के साथ ही होगा कार्तिक मेला, वॉल बाउंड्री बनाना भी हो रहा मुश्किल

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उज्जैन. इस बार का कार्तिक मेला भी नए क्लेवर में आयोजित नहीं हो पाएगा। बारिश ने मेला ग्राउंड पर होने वाले विकास कार्यों पर अल्प विराम लगा रखा है और करीब दो महीने में प्रोजेक्ट वॉल बाउंड्री निर्माण तक ही पहुंच सका है। एेसे में मेले के दौरान कच्ची सड़क और पुराने मंच का ही सहारा लेना पड़ेगा। नगर निगम ने करीब ५ करोड़ रुपए की लागत से मेला ग्राउंड मे पक्के निर्माण की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य मेले के लिए बार-बार ले-आउट बनाना और सड़क, द्वार जैसी अस्थायी व्यवस्थाएं जुटाने की झंझट खत्म करना है।

योजना अंतर्गत अगस्त में मेला ग्राउंड की बाउंड्री वॉल का निर्माण शुरू कर दिया गया था। प्रयास था कि बाउंड्री वाल के साथ ग्राउंड की आंतरिक सड़क और मंच का निर्माण मेले के आयोजन से पहले पूरा कर लिया जाए लेकिन बारिश ने इस पर पानी फेर दिया है। नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा से कार्तिक मेले का शुभारंभ होना है और अभी निगम बाउंड्री वॉल का निर्माण ही कर रहा है। यह कार्य भी बार-बार बारिश और मैदान में कीचड़ पसरने के कारण लगातार नहीं चल पा रहा है। एेसे में मेला समाप्त होने के बाद ही मैदान की आंतरिक सड़क, मंच, द्वार आदि का निर्माण शुरू होने की संभावना है।

पक्के निर्माण की कमी से यह समस्या

नगर निगम प्रति वर्ष कार्तिक मेले का आयोजन करता है। इसके लिए हर बार ले-आउट डालने, जोन तय करने और पाथ-वे बनाने आदि की मशक्कत करना पड़ती है। यही नहीं मेला क्षेत्र में धूल के गुबार, जोन निर्धारण और दुकान आवंटन के विवाद जैसी समस्याएं भी आती हैं। मेला आयोजन के लिए निगम को इन समस्याओं से न जूझना पड़े इसके लिए कुछ जरूरी स्थायी निर्माण किए जाना है।

ये होना है कार्य

- भव्य स्थायी मंच का निर्माण

- दुकानों के सामने व मेला ग्राउंड में लोगों के घुमने के लिए स्थायी पाथ-वे।

- अलग-अलग दिशा में भव्य द्वारों का निर्माण।

- मैदान की सीमा में नदी किनारे रिटेनिंग वॉल।

- लैंड स्केपिंग, लाइटिंग