28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उज्जैन का यह ऐसा कुंड, पानी में उतरते ही शरीर में होने लगती है कंपन

भूतड़ी अमावस पर दूर-दूर से लोग आकर बावन कुंड में स्नान करते हैं और जिन्हें शरीर बाधा है, वे यहां पानी में पैर डालते ही झूमने लगते हैं।

2 min read
Google source verification
Devotees take bath in Bawan Kund on Amavasya festival

भूतड़ी अमावस पर दूर-दूर से लोग आकर बावन कुंड में स्नान करते हैं और जिन्हें शरीर बाधा है, वे यहां पानी में पैर डालते ही झूमने लगते हैं।

उज्जैन. शुक्रवार को भूतड़ी अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है। कोरोना काल के दो साल बाद अब श्रद्धालुओं ने पतित पावनी मां क्षिप्रा में पुण्य स्नान किया और दान-पुण्य का लाभ लिया। प्रशासन की ओर से भी श्रद्धालुओं को घाट पर स्नान के लिए किसी प्रकार की रोकटोक नहीं लगाई गई। रामघाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने शिप्रा स्नान कर अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण आदि कार्य किया।

उज्जैन का बावन कुंड, जहां उतरते हैं भूत
नागदा-उन्हेल मार्ग पर तथा मंगलनाथ मंदिर से थोड़ी दूर बावन कुंड के नाम से एक स्थान है। यहां छोटे-छोटे 52 कुंड बने हैं तथा एक बड़ा तालाब के आकार का जलाशय है। ग्रामीण श्रद्धालु भूतड़ी अमावस के दिन दूर-दूर से यहां आकर बावन कुंड में स्नान करते हैं और जिन्हें शरीर में प्रेत बाधा या देवी-देवताओं का अंश है, वे यहां स्नान करते हैं। पानी में पैर डालते ही वे लोग झूमने लगते हैं। इस नजारे को देखना ही अपने आपमें रोमांचकारी है। कई लोग इन्हें देखकर सहम भी जाते हैं।

महाकाल मंदिर में उमड़ी भीड़
दो वर्ष के बाद जब सब कुछ खुल गया है। शासन की ओर से कोई कोरोना गाइड लाइन जारी नहीं हुई है। तो श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब भी धर्म की नगरी में देखने को मिल रहा है। चैत्र मास की भूतड़ी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने जहां पुण्य सलिला शिप्रा में स्नान किया, वहीं महाकाल मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरों में दर्शन-पूजन किया।

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य
ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया भूतड़ी अमावस्या का पर्व बहुत खास माना जाता है। इस दिन लाखों की तादात में ग्रामीण व शहरवासी क्षिप्रा स्नान के लिए पहुंचते हैं। पिछले दिनों कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए कम से कम भीड़ रखने की बात प्रशासन द्वारा कही जा रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। श्रद्धालु अब शहर आकर पुण्य सलिला मां क्षिप्रा में स्नान करने आने लगे हैं। तीर्थ स्थल में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।