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शिप्रा नदी में मिलने से नहीं रोक पा रहे गंदे नाले… जानिए क्यों नाले के पानी में धरना देकर बैठ गए कांग्रेस प्रत्याशी

उज्जैन-आलोट लोकसभा सीट कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार ने मढ़े आरोप- आस्था, सनातन और धर्म भाजपा के लिए केवल राजनीतिक एजेंडा, शिप्रा नदी का बुरा हाल, भाजपा के लाख वादों के बाद भी शिप्रा मैली की मैली

उज्जैनApr 23, 2024 / 06:36 pm

Nitin chawada

Ujjain shipra river

शिप्रा में गंदे नाले का पानी मिलने से नाराज कांग्रेस प्रत्याशी परमार सरकार का विरोध करते हुए मां शिप्रा में मिल रहे गंदे नाले के पास बैठ गए। उन्होंने नदी में मिल रहे नाले के पानी से स्नान किया और सूर्य को जल अर्पित भी किया। इस दौरान उन्होंने शपथ ली कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है, तब तक में मां शिप्रा को शुद्ध करने की लड़ाई लड़ता रहूंगा।

  • उज्जैन-आलोट लोकसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार ने मढ़े आरोप- आस्था, सनातन और धर्म भाजपा के लिए केवल राजनीतिक एजेंडा, शिप्रा नदी का बुरा हाल, भाजपा के लाख वादों के बाद भी शिप्रा मैली की मैली
उज्जैन. उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार महेश परमार ने मंगलवार को सवाल उठाते हुए कहा आखिर शिप्रा मैया से ऐसी कैसी दुश्मनी है कि खान डायवर्शन योजना और शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर हजारों करोड रुपए खर्च करने के बाद भी गंदे नालों का पानी नदी में मिलने से नहीं रोक पा रहे हैं। यह इच्छाशक्ति की कमी है या भ्रष्टाचार के चलते की जा रही लापरवाही? परमार बोले, मुख्यमंत्री को मां शिप्रा, शहर और देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। मुख्यमंत्री होते हुए भी मां शिप्रा की पवित्रता को नहीं बचाने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए। दरअसल, 22 अप्रेल की रात से शिप्रा नदी में गंदे नालों का पानी लगातार बह रहा है, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था पर कुठाराघात हुआ।
Ujjain shipra river
शिप्रा में गंदे नाले का पानी मिलने से नाराज कांग्रेस प्रत्याशी परमार सरकार का विरोध करते हुए मां शिप्रा में मिल रहे गंदे नाले के पास बैठ गए। उन्होंने नदी में मिल रहे नाले के पानी से स्नान किया और सूर्य को जल अर्पित भी किया। इस दौरान उन्होंने शपथ ली कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है, तब तक में मां शिप्रा को शुद्ध करने की लड़ाई लड़ता रहूंगा।

जब मेरे शरीर में प्राण है, शिप्रा के लिए लड़ता रहूंगा

शिप्रा में गंदे नाले का पानी मिलने से नाराज कांग्रेस प्रत्याशी परमार सरकार का विरोध करते हुए मां शिप्रा में मिल रहे गंदे नाले के पास बैठ गए। उन्होंने नदी में मिल रहे नाले के पानी से स्नान किया और सूर्य को जल अर्पित भी किया। इस दौरान उन्होंने शपथ ली कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है, तब तक में मां शिप्रा को शुद्ध करने की लड़ाई लड़ता रहूंगा। परमार ने कहा कि सुबह-सुबह सोकर उठा और सूचना मिली कि शिप्रा नदी में एक बार फिर गंदे नालों का पानी तेजी से मिल रहा है और वह भी रामघाट पर। सुनते ही मैं सबसे पहले शहर अध्यक्ष मुकेश भाटी के साथ रामघाट पहुंचा, जहां मैंने देखा कि अत्यधिक गंदे पानी के नाले जिसमे मेला भी शामिल है वह शिप्रा नदी के पानी में मिलता ही जा रहा है। श्रद्धालुओं, पंडे, पुजारियों को घाट पर धार्मिक कार्य करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। विधानसभा चुनाव के पहले जब शिप्रा मैया में गंदे पानी का जिक्र उठता था तो आज के मुख्यमंत्री नदी में नहाने की नौटंकी करके शिप्रा मैया को शुद्ध स्वच्छ करने का वचन देते रहे हैं किंतु शिप्रा को आज तक आचमन तो दूर की बात नहाने योग्य भी नहीं बना सके हैं और यह स्थिति तब है जब नगर निगम से लेकर प्रदेश और देश में इनकी सरकार है। उज्जैन कलेक्टर और मुख्यमंत्री दोनों को अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए। शिप्रा मैया स्नान के लिए उज्जैन के नागरिक तो आते ही है हजारों की संख्या में पूरे देश से श्रद्धालु यहां आते हैं। उनकी सुरक्षा तक का ख्याल नहीं रखा जाता बार-बार आंदोलन होने के बाद भी केवल मुंह दिखाई शासन द्वारा होती है लेकिन सुरक्षा के इंतजाम आज भी नहीं है आज भी यहां पर नित दिन जनहानि होती रहती है।

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