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उज्जैन. शिक्षा विभाग ने इस साल 5वीं-8वीं की परीक्षा 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर आयोजित करने का निर्णय लिया है। जिला शिक्षा अधिकारी और जिला परियोजना समन्वयकों से कहा गया है कि परीक्षा के परिणाम 20 प्रतिशत से कम आने की स्थिति में प्रधान अध्यापक और शिक्षकों को दोषी मानकर कार्रवाई की जाएगी। राज्य शिक्षा केंद्र के फरमान के बाद स्कूलों में हड़कंप मच गया है। राज्य शिक्षा केंद्र संचालक आईरीन सिंथिया जेपी ने जिला शिक्षा अधिकारी और जिला परियोजना समन्वयकों से चर्चा की। सभी को स्पष्ट बताया गया कि इस साल से 10वीं-12वीं की तरह ही 5वीं-8वीं की बोर्ड परीक्षा होगी। इसके लिए गंभीरता से काम किया जाए। दोनों परीक्षाओं की तैयारियां मंडल की परीक्षाओं की तरह हो। शिक्षकों को निर्देशित किया जाए कि वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ढंग से करें, लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 5वीं-8वीं की परीक्षा में अगर 90 प्रतिशत विद्यार्थी फेल होते हैं और उस स्कूल का परिणाम 20 प्रतिशत कम रहता है तो शिक्षक और स्कूल प्रधान अध्यापक पर कार्रवाई की जाएगी।
बोर्ड परीक्षा है, मुनादी कर बताएं
राज्य शिक्षा केंद्र ने निर्देश दिए हैं कि 5वीं-8वीं बोर्ड परीक्षा है, इसकी जानकारी पालकों तक अनिवार्य रूप से पहुंचाने के लिए सरपंच के माध्यम से पूरे गांव में मुनादी कराई जाए। इस काम को दिसंबर के पहले सप्ताह तक पूरा कर लिया जाए।
10 वीं-12वीं के शिक्षकों पर कार्रवाई प्रस्तावित है
माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं-12 वीं की परीक्षा में खराब परिणाम देने वाले स्कूलों के शिक्षकों पर कार्रवाई प्रस्तावित है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने कमजोर परिणाम देने वाले स्कूलों के शिक्षकों की दो स्तर पर परीक्षा आयोजित की थी। इसमें असफल रहने वाले शिक्षकों को बर्खास्त करने की कार्रवाई प्रस्तावित है।
Published on:
22 Nov 2019 10:04 pm
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