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नवसंवत पर विशेष : सम्राट विक्रमादित्य ने शुरू किया था विक्रम संवत

शनिवार के दिन के अनुसार इस वर्ष के राजा शनि होंगे। इसके अनुसार इस वर्ष हर ओर परिवर्तन दिखाई देगा।

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उज्जैन. हिंदु नववर्ष के रूप में विक्रम संवत 2076 की शुरुआत शनिवार से होगी। मान्यता है कि जिस दिन से नववर्ष की शुरुआत होती है वह दिन ही वर्ष का राजा होता है। शनिवार के दिन के अनुसार इस वर्ष के राजा शनि होंगे। इसके अनुसार इस वर्ष हर ओर परिवर्तन दिखाई देगा।

उज्जैयिनी के राजा विक्रमादित्य
उज्जैयिनी के राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की स्थापना की थी। पंचागीय गणना के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार विक्रम संवत 2076 होगा। चूंकि इस वर्ष के राजा शनिदेव होने के कारण पूरा वर्ष अलग-अलग घटना व मिश्रित फल के लिए जाना जाएगा। ज्योतिषाचार्य अमर डिब्बावाला ने बताया कि इस वर्ष शनि प्रभाव के चलते जनमानस धर्म तथा अध्यात्म की अनुभूति करेगा। व्यापक वर्षा होगी इससे परेशानी बढ़ेगी। वहीं महंगाई व मुद्रा स्फीती की दर भी प्रभावित होगी। हालांकि नवसंवत में राजा शनि के मंत्रीमंडल में सूर्य, चंद्र, मंगल, गुरु रहेंगे। जिनका अलग-अलग असर भी रहेगा।

उज्जैन से हुई थी विक्रम संवत की शुरुआत
विक्रम संवत की शुुरुआत उज्जैन से होना माना जाता है। विक्रम संवत का आरंभ 57 इसा पूर्व हुआ था। इसकी शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी। बताया जा रहा है कि राजा विक्रमादित्य द्वारा शको की जीत के उपरांत इस संवत की शुरुआत की थी। हिंदु इस दिन को नव वर्ष की शुरुआत मानकर धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू नववर्ष भारत ेके साथ ही नेपाल भी मनाया जाता है।

यह खासियत है विक्रम संवत के कैलेंडर की

हिंदू नववर्ष से नया कैलेंडर भी बनाया जाता है। इस कैलेंडर की खासबात यह है कि इसमें तीथियां 24 घंटे में 12-12 घंटे में नहीं बदलती है। यह तीथियों सूर्योदय से सूर्यास्त पर निर्भर रहती है। हिंदु कैलेंडर में बारह महीने की शुरुआत बैशाख (मध्य अप्रैल से मध्य मई), जैष्ठ (मध्य मई से मध्य जून), आषाढ़ (मध्य जून से मध्य जुलाई), श्रावण (मध्य जुलाई से मध्य अगस्त), भाद्र (मध्य अगस्त से मध्य सितंबर ), आश्विन (मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर), कार्तिक (मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर), अगहन (मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर), पौष (मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी), माघ (मध्य जनवरी से मध्य फरवरी), फाल्गुन (मध्य फरवरी से मध्य मार्च) व चैत्र (मध्य मार्च से मध्य अप्रैल)