फसल कटने को तैयार लेकिन खेतों में भरा है पानी
आगर-मालवा. अतिवर्षासे जिले के किसानों के हाल बेहाल है। किसानों का दर्द उनकी आंखों से झलकता हुआ दिखाई दे रहा है। सोयाबीन की फसल खेतो में पककर तैयार है लेकिन पानी से लबालब खेतो में कटाई करना भी किसानों के लिए अब किसी मुसीबत से कम नहीं है। निरंतर हो रही बारिश की वजह से करीब-करीब सोयाबीन की फसल नष्ट तो हो चुकी है पर बची-कुची फसल को तैयार करने के लिए भी किसानों को खासी मशक्कत करना पड़ रही है। हालात यह है कि आंखों के सामने खेतो में खड़ी बर्बाद होती फसल को देखते ही किसान अपने आंसू नहीं रोक पा रहे है। इस प्राकृतिक आपदा की वजह से किसानों के दशहरा, दीपावली जैसे त्योहार फीके रहते दिखाई रहे है।
किसान जब बोवनी करता है तो अच्छी पैदावार की उम्मीद की आस में रहता है पर प्राकृतिक आपदा किसानो की उम्मीदों पर पानी फेर देती है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति इस वर्ष जिले में निर्मित होती हुई दिखाईदे रही है। महंगे भाव का बिजवारा लाकर जैसे-तैसे किसानों ने बोवनी तो कर दी उसके बाद बारिश की लंबी खेंच का सामना करना पड़ा और जब बारिश आरंभ हुई तो फसल पकने तक रूकने का नाम ही नहीं ले रही है। चहुंओर किसानो के खेतो में पानी भरा हुआ है। न तो खेत में मशीने जा रही है और न ही मजदूर ठीक से काम कर पा रहे है। किसानो के लिए घट से घढ़ावना महंगा जैसी स्थिति निर्मित हो चुकी है। सामान्य रूप से फसल कटाई में जो खर्च आता था वह अब पांच गुना बढ़ चुका है। आगर में बारिश का आंकड़ा 80 इंच के करीब हो चुका है। किसानों के आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे है। बुआई से लेकर कटाई तक का जो खर्च किसान कर चुके है वह भी इस बार निकलना मुश्किल हो चुका है। कहीं अतिवृष्टि से फसले प्रभावित हुई तो कही फसलों में अफलन की स्थिति निर्मित हो गई और अच्छी पैदावार का सपना संजोए बैठे किसानों के तमाम अरमान खेत से खलिहान तक आते-आते ही ठंडे हो गए। सोयाबीन की फसल की कम पैदावार से किसानों में मायुसी छाई हुई है।
1 लाख 69 हजार हेक्टेयर में हुई थी बोवनी
जिले मे इस बार खरीफ फसल के लिए 1 लाख 69 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने खरीफ फसल की बोवनी की है। इसमे से सबसे ज्यादा 1 लाख 28 हजार 100 हेक्टेयर पर केवल सोयाबीन फसल की बोवनी की गई है। जिले में सर्वाधिक सोयाबीन की पैदावार होती है। इस बार फसल में अच्छी पैदावार का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन अगस्त के प्रथम सप्ताह से जिले में हो रही अतिवृष्टि ने किसानों की कड़ी मेहनत पर पानी फेर दिया। करीब 2 माह से लगायात बारिश से आगर में बारिश का आंकड़ा 80 इंच तक जा पहुंचा है। अतिवृष्टि के चलते खेतों में पानी भरा हुआ है और फसलें चौपट हो चुकी है।
सर्वे कार्य जारी
प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों द्वारा आनन-फानन में गांव-गांव के दौरे किए गए और सर्वे करने के आदेश जारी किए जा चुके है। किसान अब सरकारी राहत से आस लगाए बैठा है लेकिन फिलहाल सर्वे कार्य ही पूर्ण नहीं हो पाया है। किसानों के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत फसलें अतिवर्षा से नष्ट हो चुकी है।
फीकी रहेगी दिवाली और अन्य त्योहार
सोयाबीन की फसल के संबंध में ग्राम आखाखेड़ी, गरबड़ा, झोंटा, परसुखेड़ी, गुंदी, पालड़ा, पचेटी, कलमोई, घुराश्या, बाजना, भ्याना, गांगड़ा, काशीबर्डिया, अहिरबर्डिया, सुमराखेड़ी, पालखेड़ी, मालीखेड़ी, कुंडीखेड़ा, झोंटा, नरवल, निपानिया बैजनाथ, सुमराखेड़ी, बिजनाखेड़ी, महुडिय़ा मोयाखेड़ा आदि गांवो के किसानों से चर्चा की गई तो किसानों ने बताया कि फसल की स्थिति बहुत बुरी है। फसलें चौपट हो चुकी है। किसानों की लागत भी नही निकल पा रही है। फसलें कटने को तैयार है, लेकिन खेत में कदम नहीं रख पा रहे है इतना पानी भरा हुआ है।
सडक़ पर आकर निकाल रहे है फसल
पानी से लबालब खेतो में जैसे-तैसे फसल काटी जा रही है और उसे वहां से एकत्रित कर आस-पास की सडक़ पर लाया जा रहा है। जहां मशीन के माध्यम से निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इस बार किसान खलिहान तक नहीं बना पाए। जिधर देखो उधर पानी ही पानी नजर आता है इसलिए मजबूरन किसानों को सडक़ पर फसल रखना पड़ रही है। नमी अत्यधिक होने की वजह से मशीन में भी फसल खराब हो रही है।
कर्ज लेकर करना पड़ेगी अगली खेती
वर्तमान फसल की स्थिति के संबंध में जब कुछ किसानो से चर्चा की गई तो परसुखेड़ी निवासी श्रीराम यादव, झोंटा निवासी गोविंद सिंह, प्रमोद जोशी, धारासिंह, काशीबर्डिया निवासी लालसिंह, घुराश्या के भगवतीप्रसाद सहित दर्जनो गांवो के किसानों ने बताया कि सोयाबीन तो खेत मे ही नष्ट हो गईहै। सोयाबीन की फसल से हम लोग अगली फसल की तैयारी करते है। सोयाबीन बर्बाद हो जाने से अगली फसल भी प्रभावित होगी। किसानों को मजबूरन कर्ज लेना पड़ेगा तब जाकर गेहूं, चने की बोवनी हो पाएगी। अतिवर्षा ने यह सीजन तो बिगाड़ा अगले का भी कोई भरोसा नहीं है। सोयाबीन की अच्छी पैदावार की आस लगाकर बैठे किसानों को अब अगली फसल के लिए मशक्कत करना पड़ेगी। गेहूं, चने की बुआई करने से पहले किसानों को कर्ज लेना पड़ रहा है। एक बीघा में करीब तीन से चार क्ंिवटल सोयाबीन की पैदावार होना चाहिए, तब जाकर लागत मूल्य निकलता है, लेकिन इस बार तो 20 प्रतिशत पैदावार भी होती हुई दिखाई नहीं दे रही है, स्थिति बहुत खराब है।
बाजार हुआ बैरंग
आगर शहर एवं अन्य कस्बों का पूरा व्यापार किसानों पर निर्भर होता है और इस बार नवरात्रि आरंभ हो चुकी है, लेकिन बाजार से रौनक गायब है। बाजार बैरंग दिखाई दे रहा है। आने वाले दिनों में दशहरा एवं दीपावली जैसे पर्व आने वाले है। हालात यही रहे तो इसका असर व्यापार पर भी पड़ता हुआ दिखाई देगा।