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देश में पहली बार किन्नर अखाड़े का गठन उज्जैन में

बिग बोस फेम लक्ष्मीनारायण ने कहा किन्नरों का दर्जा संतों से भी ऊंचा

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Ujjain Online

Oct 12, 2015

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उज्जैन.
देश में पहली बार किन्नर संप्रदाय अपने अखाड़े का गठन करने जा रहा है। अखाड़े की स्थापना उज्जैन ग्राम हासमपुरा स्थित आध्यात्मिक वाटिका में होगी। अखाड़ा गठन के लिए करीब 22 प्रदेशों से किन्नर नायक व अन्य प्रतिनिधि शहर आए हैं। सिंहस्थ से ठीक पहले किन्नर संप्रदाय द्वारा प्रथक अखाड़े के गठन से साधु-संत और प्रशासन के सामने नया मुद्दा खड़ा होने की संभावना है।


बिग बोस फेम किन्नर लक्ष्मीनारायण व सागर की पूर्व महापौर कमला बुआ ने मीडिया से चर्चा में बताया कि मंगलवार से नवरात्रि पर्व शुरू हो रहा है। हम किन्नर माता को बहुत मानते हैं, इसलिए इसी दिन घट स्थापना कर ध्वजारोहण किया जाएगा। हासामपुरा स्थित ऋषि अजयदास के आश्रम आध्यात्मिक वाटिका में स्थापना पूजन सुबह 7 से दोपहर एक बजे तक किया जाएगा। दोपहर 3 बजे कलेक्टर को सिंहस्थ महाकुंभ में भाग लेने और भूमि आवंटन के लिए मांग पत्र दिया जाएगा। शाम 6 बजे से लच्छु भाई मोहली द्वारा भजन संध्या आयोजित की जाएगी। प्रेसवार्ता में ऋषि अजय दास, व्यवस्थाकर्ता भावना गुरुदासानी किन्नर मुजरा, गोरी सावन, आरती गिरी, पायल, बुलबुल, चांदनी, रेशमा आदि मौजूद थे।


सफेद ध्वज, 10 पीठाधीश, बनाएंगे वेबसाइट

कमला बुआ व लक्ष्मीनारायण ने बताया, किन्नरों के ईष्ट देवता अर्धनारीश्वर अखाड़े के संरक्षक व ईष्ट देवी महाबहुचरा अखाड़े की प्रमुख देवी होंगी। अखाड़े का ध्वज सफेद रंग का होगा, जिस पर तीनों ओर स्वर्ण महल आभायुक्त रंग रहेगा, जो कि सतयुगी (स्वर्णकाल) और त्यागरूपी सफेद रंग होगा। किन्नर नायक व गुरुओं की सहमति से 10 पीठाधीश्वर नियुक्त किए जाएंगे। बाद में पीठाधीश्वर ही अखाड़ा प्रमुख का चयन करेंगे।


छीना हुआ अस्तित्व वापस चाहिए

लक्ष्मीनारायण के अनुसार सनातन धर्म में प्रारंभ से किन्नरों का अस्तित्व रहा है, लेकिन ब्रिटिश राज में सबसे अधिक हमारा पतन हुआ। 311 वर्षों से संघर्ष कर हमने गुरु-चेला का वजूद बचाकर रखा है। हम अपना छीना हुआ अस्तित्व पाना चाहते हैं, इसलिए हमने अखाड़ा बनाने का निर्णय लिया है। उनके अनुसार सिंहस्थ में कम से कम पांच हजार किन्नर आएंगे। कमला बुआ ने कहा, हम लोगों को दुआएं देते हैं और हमें सम्मान मिलता है, लेकिन लालच के लिए ही हमें सम्मान क्यों मिले। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा किन्नरों को लेकर दिए गए निर्णयों की जानकारी दी और बताया कि अभी तक मप्र में किन्नरों के लिए प्रथक आयोग का गठन नहीं हुआ है।


तो हम अपने तरीके से करेंगे स्नान

प्रशासन या अखाड़ा परिषद द्वारा किन्नरों की मांग नहीं माने जाने के सवाल पर लक्ष्मीनारायण ने कहा किन्नर तो जन्म से योगी होते हैं। किन्नरों का दर्जा संत-महात्माओं से भी ऊंचा है और हम चर्चा के लिए भी तैयार हैं। हमें किसी के प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं है। हम बधाई मांगते हैं तो लोग इच्छा से नहीं देते, हम अपने तरीके से लेते हैं। सिंहस्थ में हमारे अखाड़े के लिए व्यवस्था नहीं की गई, तो हम अपने तरीके से व्यवस्था कर लेंगे।

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