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उज्जैन में गुरुकुल…ऐसे पढ़ रहे कॉलेज के विद्यार्थी

विक्रम विश्वविद्यालय में पहली बार खुले भारत अध्ययन केंद्र में पढ़ाई के लिए किया अनूठा प्रयोग, विद्यार्थियों के लिए स्पेशल टेबल तो शिक्षकों के लिए बनाया पीठा, पढ़ रहे हिंदुत्व का मर्म

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Gurukul in Ujjain... college students studying like this.

विक्रम विश्वविद्यालय में पहली बार खुले भारत अध्ययन केंद्र में पढ़ाई के लिए किया अनूठा प्रयोग, विद्यार्थियों के लिए स्पेशल टेबल तो शिक्षकों के लिए बनाया पीठा, पढ़ रहे हिंदुत्व का मर्म

उज्जैन।
उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण जिस तरह पढ़ाई की उसी तरह विक्रम विश्वविद्यालय में विद्यार्थी भी जमीन पर बैठक हिंदुत्व का मर्म सीख रहे हैं। ऐसा विक्रम में पहली बार खुले भारत अध्ययन केंद्र में हो रहा है। यहां कक्षाओं में विद्यार्थी के लिए विशेष तरह की टेबल लगाई है तो पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए पीठा नाम से कुर्सी बनाई गई है। खास बात यह कि पढऩे और पढ़ाने का यह नया तरीका विद्यार्थी के साथ शिक्षकों को भी रास आ रहा है।
विक्रम विश्वविद्यालय में इस वर्ष से हिंदू स्टडीज का नया स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हुआ है। इसमें हिंदू धर्म, विज्ञान, वेद, पुराण, वैदिक गणित जैसे विषयों को पढ़ाया जा रहा है। चूंकि पूरी पढ़ाई भारतीय ज्ञान परंपरा और उसके अध्ययन को लेकर है लिहाजा यहां का स्ट्रक्चर भी उसी अनुरुप किया है । कक्षाओं में सामान्य टेबल-कुर्सी नहीं लगाकर एक तरह से मुनिम डेस्क की तरह टेबल बनाई गई है। जमीन पर बैठने के लिए गद्दा बनाया गया है। वहीं शिक्षकों के लिए पीठा नाम से कुर्सी बनाई है जो किसी संत-महात्मा या ऋषि-मुनि बैठने जैसी। हिंदू स्टडीज के इस नए कोर्स में फिलहाल ११ बच्चों ने प्रवेश लिया है। वहीं तीन शिक्षक पढ़ा रहे हैं। दरअसल इस पूरी कवायद का मकसद यह है कि विद्यार्थी जिस हिंदू विषयों का अध्ययन कर रहे हैं, उन्हें उसी तरह का माहौल कक्षा में मिले।
कक्षाओं के नाम महर्षि कणाद तो जनमेजय पर
भारत अध्ययन केंद्र में कक्षाओं के नाम भी ए, बी,सी व डी नहीं देकर इन्हें हिंदु वैज्ञानिक ऋषि, चिंतक व हिंदु शिक्षा स्थलों के नाम पर रखे गए हैं। यहां कक्षा के नाम जनमेजय, कुताई करतेनागरा, आरुणि उदï्दालक व विक्रमशिला दिया गया है। कक्षाओं के जो नाम दिए हैं, उसके बारे में जानकारी भी चस्पा की गई। मकसद यह कि विद्यार्थी जाने कि हिंदु धर्म में किस प्रकार के वैज्ञानिक, चिंतक व निर्माण हुए हैं।
इसलिए महत्वपूर्ण यह विषय
हिंदू स्टडीज को लेकर बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार अगले वर्षों में इसे स्कूलों में पढ़ाने जा रही है। ऐसे में इन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षकों की जरुरत रहेगी। हिंदू स्टडीज से ऐसे ही शिक्षक तैयार होंगे जो हिंदु धर्म के न केवल ज्ञात होंगे बल्की प्राचीन भारत में हुई खोज, आविष्कार के बारे में नई जनरेशन को अवगत करा सकेंगे।
इनका कहना
भारत अध्ययन केंद्र में हिंदु धर्म के विषय में पढ़ाया जा रहा है। भारतीय परंपरा में जिस तरह गुरुकुल रहे हैं, उसी अनुसार जमीन पर बैठकर पढ़ाई और कक्षाओं को माहौल रखा गया है। नई व्यवस्था विद्यार्थी को पसंद आ रही है।
- डॉ. सचिन राय, निदेशक, भारत अध्ययन केंद्र