बताया कि बहू रश्मि प्रभा भगवान महाकाल की भक्त थी। कई बार वो भगवान महाकाल के दर्शन करने आ चुकी हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से वे गंभीर रूप से बीमार थीं। बहू की अंतिम इच्छा थी कि उनके गहने महाकाल मंदिर में दान किए जाएं, सौभाग्यवती की इस अंतिम इच्छा को पूरा करने का करवाचौथ से अच्छा अवसर नहीं हो सकता था। इसलिए शनिवार को मंदिर आकर गहने दान किए हैं।
जिंदगी हसरतों का नाम है, उम्मीदों का नाम है। हर कोई किसी न किसी हसरत को लिए जिंदगी जीता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी अंतिम इच्छा बताकर शरीर छोड़ते हैं। ऐसी ही एक झारखंड निवासी रश्मिप्रभा ने की थी कि मेरी मृत्यु के बाद मेरे सभी गहने महाकाल मंदिर में दान कर देना। पति ने अपनी पत्नी की इच्छा का सम्मान किया और महाकाल मंदिर पहुंचकर करीब 17 लाख के गहने दान किए।