
ट्रांसपोर्ट नगर २० वर्ष से नहीं बना पाए, शहर से दूसरे राज्यों को जाने के लिए सीधे ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं, उद्योगपतियों की दोहरी मुसिबत की भाड़ा ज्यादा लग रहा ऊपर से माल भी खराब हो रहा
जितेंद्रसिंह चौहान
उज्जैन। स्मार्ट सिटी के साथ शहर को बड़े उद्योगों के स्थापना के सपने दिखाए जा रहे हैं लेकिन धरातल पर जो काम होने चाहिए वह नहीं हो पा रहे है। उद्योगों से तैयार होने वाले सामान को देशभर में पहुंचाने के लिए एक अदद ट्रांसपोर्ट की सुविधा ही नहीं विकसित हो सकी है। बीते २० सालों से ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का प्रस्ताव सिर्फ फाइलों में दब कर रहा गया है। नतीजतन अब उद्योगपति उज्जैन की बजाय इंदौर में उद्योग शिफ्ट करने को विवश हो रहे है। मजबूरी यह कि उज्जैन से देशभर में भेजने के लिए सीधे ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं है, ऐसे में इंदौर माल भेजना पड़ रहा है फिर वहां अन्य जगह भेजा जा रहा है। ऐसे में भाड़ा ज्यादा लग रहा है तो माल खराब भी हो रहा है। अगर प्रशासन अन्य योजना की तरह ट्रांसपोर्ट नगर योजना को गंभीरता से लेते हैं तो इससे शहर विकास का नया रास्ता तो खुलेगा व्यापार-व्यवसाय में भी इजाफा होगा।
२० साल से जमीन तलाश नहीं पाए, विक्रमनगर मे जमीन दिखी उस पर काम नहीं
शहर में ट्रांसपोर्ट नगर की योजना २० साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। स्मार्ट सिटी के तहत शहर में कई नए प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है लेकिन लंबे समय से ट्रांसपोर्ट नगर बनाने के लिए जमीन का ही निर्धारण नहीं हो सका है। विक्रमनगर रेलवे स्टेशन के पास ट्रासंपोर्ट नगर की योजना पर सहमति बनी लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। दरअसल विक्रमनगर शहर से सटे होने के साथ ही देवास, मक्सी और इंदौर रोड के लिए आसान पहुंच है। यहां रेलवे स्टेशन भी है। पिछले पांच वर्षों से विक्रमनगर में ट्रांसपोर्ट नगर बसाने को लेकर अधिकारी विचार-विमर्श कर रहे है पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका। अब सामने आया है कि मास्टर प्लान में विक्रमनगर की जमीन को ट्रांसपोर्ट नगर के लिए चिन्ह्ति किया जाएगा, इसके बाद योजना आकार लेगी।
यूं अटकता रहा ट्रांसपोर्ट नगर
- इंदौर रोड पर त्रिवेणी ब्रिज के यहां पर ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की योजना बनी थी। बाद में यहां प्राधिकरण की त्रिवेणी विहार योजना आ गई।
- मक्सी रोड पर नौलखी बीड के पास ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का प्रस्ताव था। जमीन वन विभाग और इसके आवंटन में दिक्कत के चलते यह आकार नहीं ले पाया।
- आगर रोड पर चककमेड के पास भी मास्टर प्लान के तहत ट्रांसपोर्ट नगर प्रस्तावित है लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी।
- इंदौर रोड पर तपोभूमि के पास प्राधिकरण द्वारा ट्रासंपोर्ट नगर बना, जाने की योजना थी। न, कानून के तहत अब यह अटक गई है।
- विक्रम नगर रेलवे स्टेशन के पास ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का प्रस्ताव आया है। अब तक इस दिशा में कुछ नहीं किया जा सका।
इसलिए जरुरी ट्रांसपोर्ट नगर
- वर्तमान में शहर से करीब २५ तो बाहर से ७०० से ८०० वाहन रोज आते हंैं। लोडिंग वाहन शहर के भीतर तक आते हैं, इससे दुर्घटना का अंदेशा रहता है।
- दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों को सामान उतारने के लिए अलग-अलग स्थानों पर खड़ा होना पड़ता है। सूने क्षेत्र में खड़े होने से चोरी का अंदेशा रहता है।
- ट्रांसपोर्ट नगर बनने से एक ही स्थान पर वाहन खड़े हो सकते हैं। यहां गैरेज, ड्राइवर-क्लीनिर के ठहरने, भोजन के इंतजाम के साथ विभिन्न ट्रांसपोर्ट कार्यालय भी खुलेंगे।
यह व्यापार होता है शहर से
उज्जैन से छह जिलो शाजापुर, रतलाम, मंदसौर नीचम, राजगढ़, उज्जैन, शुजालपुर, सारंगपुर सुसनेर तथा जावारा व पचौर तक किराना, कपड़ा जाता है। वहीं अन्य राज्यों में अगरबत्ती, पोहा, पत्तल-दोने यहां से जाता हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों से हार्डवेयर, इलेतक्ट्रिक, किराना, धान का रॉ मटेरियल, फार्मा का मटेरियल आता है।
नहीं पनप रहे उद्योग, दिल्ली से मना कर देते
ट्रांसपोर्ट की कमी के चलते शहर में उद्योग तेजी से नहीं पनप रहे हैं। उद्योगपति बता रहे हैं ट्रांसपोर्ट की कमी के चलते शहर के कई अच्छे उद्योग अन्य शहरों में शिफ्ट हो रहे हैं। कपड़े का कारोबार बुरहानपुर चला गया। ऐसे ही पोहे का धार तो अगरबत्ती जैसे उद्योग इंदौर जा रहे हैं। जबकि उज्जैन में अगर बत्ती, दोने-पत्तल व पोहे वह मेडिकल फार्म के हब के रूप में है। वहीं दिल्ली से उज्जैन के लिए ट्रासंपोर्ट बुकिंग नहीं कर रहे हैं। मक्सी में ट्रक कटिंग के चलते दिक्कत आ रही है। इसका समाधान ही नहीं हो पा रहा।
इनका कहना
ट्रांसपोर्ट नगर की मांग लंबे समय से की जा रही है। पूर्व में विक्रमनगर रेलवे स्टेशन के पास भी ट्रंासपोर्ट नगर बसाने की बात कही थी। इस दिशा में कुछ नहीं हो पाया। ट्रांसपोर्ट नगर नहीं होने से उद्योगों के साथ ट्रांसपोर्टरों को दिक्कत आ रही है। समय रहते कदम नहीं उठाते हैं तो इससे उद्योग शहर में पनप नहीं पाएंगे।
- सौरभ जैन, अध्यक्ष, उज्जैन ट्रांसपोर्ट, एसोसिएशन
ट्रांसपोर्ट की समस्या के चलते मैंने अपनी अगरबत्ती की इकाई उज्जैन की जगह इंदौर में लगाई है। उज्जैन से ट्रांसपोर्ट की सीधी सेवा नहीं है। माल इंदौर जाता फिर यहां से ट्रांसपोर्ट पर लदान होता। इससे भाड़ा ज्यादा लगता और माल भी खराब होता। ट्रांसपोर्ट नगर उज्जैन में बनता है तो इससे उद्योगों को फायदा मिलेगा, नई उद्योग लगाने में आसानी होगी।
- अशोक जैन, संचालक, करिश्मा अगरबत्ती
Published on:
11 Mar 2022 10:48 pm
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