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इंटरनेशन डे ऑफ फ्रेंडशिप : मानवता के मूल्यों के यह हैं रक्षक

ऊंच-नीच, जात-पात, अमीरी-गरीबी तो कहीं इतनी अमानवीयता कि लोगों को दूसरों के दु:ख से भी कोई सरोकार नहीं, विश्व के विभिन्न देश इसी तरह की किसी न किसी समस्या से जूझ रहे हैं।

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उज्जैन. ऊंच-नीच, जात-पात, अमीरी-गरीबी तो कहीं इतनी अमानवीयता कि लोगों को दूसरों के दु:ख से भी कोई सरोकार नहीं, विश्व के विभिन्न देश इसी तरह की किसी न किसी समस्या से जूझ रहे हैं। भेदभाव को दूर करने और मानवता के मूल्यों को संरक्षित करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशन डे ऑफ फ्रेंडशिप की शुरुआत की गई है। मंगलवार 30 जुलाई को यही खास दिन इंटरनेशनल डे ऑफ फ्रेंडशिप है।

व्यक्ति का व्यक्ति के प्रति दोस्ती और अपनत्व के भाव बढ़ाने वाले इस महत्वपूर्ण दिन की शहर में कम ही लोगों को जानकारी है लेकिन यहां एेसे कई लोग या संस्थाएं है, जो इस दिन के उद्देश्य को पूरा करते हैं। कोई धर्म के दायरे से अलग अपने कार्यों से भाईचारे को बढ़ावा देने का संदेश फैलाते तो कोई अनजान परेशान के लिए नि:स्वार्थ खड़े हो जाते हैं। इस दिन को स्थापित करने की परिकल्पना को चरितार्थ करते कुछ एेसे ही लोगों पर एक रिपोर्ट-
कभी पंचक्रोशी यात्रियों की सेवा तो कभी ईद मिलन समारोह

सामाजिक कार्यकर्ता शकैब कुरेशी व उनके साथी अलग-अलग संगठनों के साथ विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। शकैब मुस्लिम समाज की गतिविधियों में जिम्मेदारी निभाते ही हैं, अन्य धार्मिक-सामाजिक कार्यों में भी भागीदारी कर सद्भावना का संदेश देते हैं। कैप्टन अब्दुल हमीद मंच के माध्यम से कई वर्ष उन्होंने पंचक्रोशी यात्रियों की सेवा की। यात्रा के दौरान कुरैशी के साथ ही मंच के सदस्य पंकज प्रतापसिंह, मम्मू पटेल, अनिल नारंग, विक्की भैया, कर्नल आफिस आदि पंचक्रोशी यात्रियों को भोजन प्रसादी वितरित करते थे। इसी तरह एक अन्य संस्था नई पहल नई सोच के सैयद आबिद अली मीर, शकैब कुरेशी, शाहिद हाशमी, इसराइल मंसूरी, आजम बैग, आरिफ खान आदि सफर-ए-आखिरी नाम से नि:शुल्क शव वाहन संचालित करते हैं, जो सभी धर्म-समाज के लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाता है। इस संस्था ने भी जहां पंचक्रोशी यात्रियों की जल सेवा की वहीं ईद मिलन समारोह आयोजित कर विभिन्न समाज के लोगों का सम्मान किया। खास बात यह कि कुरैशी व बुधवारिया के शुक्ला परिवार वर्षों से भाई बहन के रिश्ते में बंधे हैं और अब इन परिवारों की चौथी पीढ़ी इस परंपरा का निर्वहन कर रही है।

अनजान की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते यह युवा

शहर के कुछ युवाओं ने कर्म सेवा धर्म सेवा संगठन बनाया है। नाम के ही अनुरूप युवा नि:स्वाथ किसी भी जरूरतमंद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। कर्म सेवा धर्म सेवा में करीब ७० युवा जुड़े हैं। इन युवाओं को जब भी जानकारी मिलती है कि किसी को उपचार के लिए खून की जरूरत है, यह रक्तदान करने पहुंच जाते हैं। यही नहीं गंभीर बीमारी से पीडि़त एक गरीब अनजान बालक के उपचार के लिए इन युवाओं ने कई दिनों तक टॉवर पर कार्यक्रम आयोजित कर शहरवासियों से रुपए जुटाए और पीडि़त बालक के परिवार की आर्थिक मदद की। पौधरोपण, धार्मिक यात्रियों की सेवा, गरीब बच्चों को शिक्षण सामग्री वितरण, जरूरतमंदों को कंबल बांटने, पक्षियों के लिए सकोरे लगाना, पशुओं के लिए पानी के पानी की व्यवस्था जैसे कई कार्य यह युवा लगभग हर महीने करते हैं। कर्म सेवा धर्म सेवा के दर्शन ठाकुर बताते हैं, सभी धर्म-समाज में प्राणि सेवा व जरूरतमंदों की मदद को सबसे बड़ा धर्म बताया है। हमें खुशी मिलती है जब हम किसी की परेशानी दूर करने के माध्यम बन पाते हैं।

उज्जैन पेश कर चुका है भाईचारे की मिसाल
शहर में एेसे कई मौके आए, जब दंगे, वैमनस्यता की स्थिति बनी लेकिन शहरवासियों ने इन्हें अपने रिश्तों पर हावी नहीं होने दिया। कुछ वर्ष पूर्व भी शहरवासियों ने भाईचारे की एक एेसी ही बड़ी मिसाल पेश की थी। करीब आठ वर्ष पूर्व एक विषय को लेकर शहर में तनाव की स्थिति बन गई थी। तब विभिन्न समाजों के प्रमुख लोगों के साथ आमजनों ने एकजुट होकर सद्भावना रैली निकाली थी और एकता का संदेश दिया था।