
कौशल्यादेवी व रघुनाथसिंह की दरियादिली से निर्धन बेटी का विवाह संपन्न
नागदा. दुर्गापूरा की छोटी सी गली में रविवार को सामाजिक सरोकार का नया अध्याय रच गया। शिव दुर्गा विकास समिति की संरक्षक कौशल्यादेवी व रघुनाथसिंह बब्बू सरकार की दरियादिली की वजह से निर्धन बेटी मधु का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। गेंदे की लड़यिों से सजे मंडप में दोपहर 3 बजे शुभ मुहूर्त में मधु ने रतलाम जिले के नौगांवा निवासी हरीश डाबी के साथ सात फेरे लेकर मंगल जीवन की शुरुआत की। बेटी के विवाह का साक्षी बना हर शख्स बब्बू की नेकी की तारीफ करते नहीं थका तो नातिन के विवाह की चिंता में डूबे नाना हीरालाल का चेहरा खुशी से दमक उठा।
बात 3 दिसंबर से पहले की है। कपासिया परिवार में चिंता का माहौल था। परिवार के मुखिया हीरालाल को यह बात घर कर रही थी कि उनके आंगन की रौनक रही मधु को वे उसके हक के साथ खुशी-खुशी विदा नहीं कर पाएंगे। बेटी-दामाद के रकम, कपड़ों से लेकर बारात की अगवानी और मेहमनों की मेहमाननवाजी तक के लिए रुपयों की व्यवस्था जुटाना हीरालाल के लिए मुश्किल था। संयोग कुछ ऐसा बना कि एक दिन हीरालाल शादी का निमंत्रण लेकर रघुनाथसिंह बब्बू के घर पहुंचे। बोले- नातिन का विवाह है पधारना है, भगवान की पूजा करके लौटे बब्बू ने शादी का निमंत्रण तो स्वीकार कर लिया, लेकिन हीरालाल की आंखों में चिंता देखकर वे उनकी व्यथा जानने से खुद को रोक नहीं पाए। हीरालाल ने निसंकोच बब्बू को अपनी पूरी व्यथा बताई। बब्बू भी कुछ देर के लिए सोच में पड़ गए, तभी पत्नी कौशल्या पहुंची। हीरालाल से बोली- आप निश्चित रहें, आपकी नातिन, हमारी बेटी है। उसका विवाह होगा और धूमधाम से होगा। कौशलया और बब्बू विवाह की तैयारियों में जुट गए। 3 को माता पूजन हुआ, 4 को महिला संगीत और 5 दिसंबर को 300 लोगों की रसोई के साथ नौगांवा से पहुंची बारात का धूमधाम से स्वागत हुआ। समारोह में जिला कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सुबोध स्वामी, जितेेंद्र चौहान, ओमप्रकाश मौर्य, पूर्व पार्षद संदीप चौधरी आदि ने भी शिरकत कर बेटी को आशीर्वाद दिया।
दहेज में फ्रीज, एलईडी, कूलर और गृहस्थी का पूरा सामान
दोपहर करीब 1.30 बजे फेरों के लिए मंडप सज चुका था। समीप में दहेज की सामग्री फ्रीज, एलईडी, कूलर, सिलाई मशीन सहित ग्रहस्थी का सामान रखा हुआ था। दोपहर 2 बजे मंडप की तरफ बढ़ते दूल्हा हरीश की राह में फूल बिछाए गए। 2.30 बजे से रस्म शुरू हुई। हवन, पूजन के बाद ढोल की गूंज के बीच पंडित ने हरीश और मधु के फेरे कराए। फिर हरीश ने मधु की मांग में सिंदूर और गले में मंगल सूत्र पहनाया। अंत में बब्बू और कौशल्या ने बेटी का कन्यादान कर उसे ससम्मान विदा किया। पत्रिका से चर्चा में बब्बू ने कहा- शायद यह भगवान भोलेनाथ की ही मंशा थी कि उन्होंने इस पुण्य काम के लिए मुझे निमितमात्र चुना। मुझे खुद ही नहीं पता था कि बेटी का विवाह करना है। बस महाकाल ने शक्ति दी और इतना कुछ हो गया। मेरा समाज के उन सभी धनवान लोगों से भी अनुरोध है कि वे निर्धन बेटियों का विवाह अपनी बेटी का विवाह समझकर करें। मेरा खुद का अनुभव है कि मैं अपनी बेटी का मंडप वैसा नहीं सजा पाया था, जैसा मधु का विवाह मंडप सजाने का मौका मिला।
Updated on:
05 Dec 2021 11:44 pm
Published on:
05 Dec 2021 11:41 pm
बड़ी खबरें
View Allउज्जैन
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
