सावन के पहले सोमवार राजसी ठाठ के साथ प्रजा का हाल जानने निकले बाबा महाकाल।
देशभर में प्रसिद्ध बाबा महाकाल की सावन मास की पहली शाही सवारी सोमवार को शहर में निकाली गई। राजाधिराज महाकालेश्वर महाराज चांदी की पालकी पर विराजित होकर प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। इस दौरान दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस बार अधिक मास होने के चलते बाबा महाकाल 11 सितंबर तक भक्तों को दर्शन देकर उनकी सभी इच्छाएं पूरी करेंगे। वहीं, सोमवार को निकली पहली शाही सवारी के दौरान बड़ी संख्या में उनके भक्त दर्शन करने उज्जैन पहुंचे हैं। पूरे शहर में सुबह से ही भक्तिमय माहौल देखने को मिल रहा है।
आपको बता दें कि, बाबा महाकालेशवर की सवारी अपने दरबार के प्रांगण से होते हुए पहले महाकाल चौराहे से गुदरी चौराहा, कार्तिक चौक से हरसिद्धि होते हुए रामघाट पहुंची। जहां पर शिप्रा नदी के किनारे बाबा की पूजा अर्चना की गई। यहां से बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकल गए।
अनादि काल से चली आ रही परंपरा
सावन माह में बाबा महाकाल की सवारी निकाले जाने की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। इसी परंपरा के चलते आज सावन के पहले सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली गई। दोपहर 4 बजे मंदिर के सभा मंडप में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और एसपी सचिन शर्मा ने बाबा महाकाल की पूजा अर्चना कर पालकी को कांधा देकर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। इस दौरान मंदिर के मुख्य द्वार पर पुलिस टुकड़ी ने बाबा महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
ठाठ बाठ से निकले राजाधिराज
इसके बाद राजाधिराज चांदी की पालकी में सवार होकर राजसी ठाठ बाठ के साथ प्रजा का हाल जानने निकले तो श्रद्धालुओं ने अपने राजा का पूरे हर्ष के साथ स्वागत करते हुए पलक पावड़े बिछा दिए। वहीं, सवारी के रामघाट पहुंचने पर बाबा महाकाल का शिप्रा के पवित्र जल से अभिषेक कर विशेष पूजा की गई। इसके बाद सवारी अपने परंपरागत मार्ग से होते हुए पुनः महाकाल मंदिर पहुंच गई। सवारी में घुड़सवार पुलिस दल, पुलिस टुकड़ी और पुलिस बैंड के अलावा भजन मंडलियां शामिल थीं। सवारी मार्ग के दोनों और हजारों श्रद्धालु बाबा महाकाल की एक झलक पाने के लिए खड़े नजर आए।