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उज्जैन. सीने से लेकर पैर तक शरीर नि:शक्त है, फिर भी एक आधुनिक श्रवण कुमार के हौसले को देखिए वे महाकाल दर्शन के लिए अपने माता-पिता को लेकर रविवार को उज्जैन आए। खास बात यह कि जयपुर से उज्जैन का सफर कार से पूरा किया।
बात कर रहे हैं जयपुर के लोकेश सोनी की। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में व्हीलचेयर की मदद से पहुंचे और राजाधिराज के दर्शन किए। साथ में माता सुशीला सोनी और पिता सीताराम सोनी और ताई, चचेरा भाई भी थे।
चोट ने बनाया नि:शक्त
३७ वर्षीय लोकेश सोनी ने बताया कि १९९८ में स्कूल के कार्यक्रम की तैयारी करते समय ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी में चोट से शरीर का सीने से लेकर पैर तक का हिस्सा सुन्न हो गया है। निजी कंपनी में अधिकारी लोकेश के पिता जयपुर में लोडिंग ऑटो चलाते हैं। लोकेश बताते हैं कि युवा अवस्था में गंभीर चोट के बाद नि:शक्त होने के पर माता-पिता ने केयर की, पढ़ाया-लिखाया तो आज सामाजिक और आर्थिक तौर पर सक्षम हूं। फर्ज बनता है कि माता-पिता के लिए भी कुछ किया जाए, इसलिए कार चलाकर महाकाल दर्शन के लिए लेकर आया हूं। भारत के प्रमुख धार्मिक शहरों की यात्रा माता-पिता के साथ करने की मंशा थी। शुरुआत राजाधिराज महाकाल के दर्शन से की है।
ऑटोमैटिक गियर की कार से तय किया सफर
लोकेश सोनी के अनुसार उनकी कार में ऑटोमैटिक गियर है। हाथ से संचालित होने वाले स्पीड कल्च और ब्रेक है। इस कार को वे लंबे समय से आरटीओ की अनुमति केे साथ चला रहे हैं। पहली बार वे लंबा सफर कर उज्जैन पहुंचे हैं। आना-जाना दोनों मिलाकर ११५० किमी होगा। महाकाल की नगरी में आने के बाद कार से लंबा सफर करने की ओर हिम्मत मिलेंगी। इस के बाद समय-समय पर देश के अन्य धार्मिक स्थानों की यात्रा करेंगे।
Published on:
28 Aug 2017 11:59 am
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