
MP Cultural Minister Usha Thakur
महू/उज्जैन। अपने बयानों को लेकर अक्सर चचा्र में रहने वाली प्रदेश की संस्कृति मंत्री (MP Cultural Minister) उषा ठाकुर ने दुष्कर्मियों को लेकर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। महू में एक कार्यक्रम के दौरान (MP Cultural Minister) उन्होंने कहा कि दुष्कर्मियों को चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए। ऐसे नर पिशाचों को का क्या मानवाधिकार, भाड़ में जाए मानवाधिकार आयोग।'
ऐसा अपराध करने से डरेंगे अपराधी
MP संस्कृति मंत्री (MP Cultural Minister) उषा ठाकुर रविवार को महू के कोदरिया गांव में पहुंची थी। यहां उन्होंने मंच से लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म तो आरोपी समाज में करता है, लेकिन उसको सजा जेल की चारदीवारी के बीच दी जाती है। ऐसा करने से अन्य अपराधियों में भय नहीं रहता है। (MP Cultural Minister)ऐसे लोगों को बीच चौराहे पर फांसी देकर लटका रहने दिया जाना चाहिए। ताकि अन्य अपराधियों में भय पैदा हो। मंत्री ने आगे कहा कि दुष्कर्मियों का अंतिम संस्कार भी नहीं करना चाहिए। उनका शव चील-कौवे नोचकर खाएं। (MP Cultural Minister) इससे अन्य अपराधी ऐसा अपराध करने से डरेंगे।
ग्रामीणों को किया सम्मानित
MP की संस्कृति मंत्री (MP Cultural Minister) उषा ठाकुर महू के पास कोदरिया गांव पहुंची थीं। यहां गांव के लोगों को भी सम्मानित किया। संस्कृति मंत्री उषा ने मंच से कहा कि 'इनके खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया जाना चाहिए। इसमें हर घर से मां और बहनें अपने घर का मोबाइल नंबर और वोटर आईडी इस अभियान में शामिल करें। (MP Cultural Minister) यह पत्र मुख्यमंत्री को सौंपे। इसमें यह साफ तौर पर लिखा हो कि दुष्कर्मियों को बीच चौराहे पर सजा दी जाए। उन्हें वहीं लटका रहने दिया जाए।'
ऐसे मामलों में क्या मानवाधिकार
MP संस्कृति मंत्री (MP Cultural Minister) उषा ठाकुर ने आगे कहा कि मानव अधिकार आयोग भाड़ में जाए। ऐसे नर पिशाचों का क्या मानवाधिकार। जब तक दुष्कर्मियों को बीच चौराहे पर लटका कर फांसी की सजा नहीं दी जाएगी, समाज में दुष्कर्म करने वाले आरोपियों में कानून के प्रति भय व्याप्त नहीं होगा। (MP Cultural Minister) उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में मानव अधिकार की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।
पढि़ए मंत्री ने किन शब्दों से दिखाया गुस्सा
(MP Cultural Minister) 'मैं यह चाहती हूं कि एक हस्ताक्षर अभियान चले। होता क्या है अपराध तो अपराधी ने समाज में किया, उसको फांसी कहां मिली जेल में। किसने देखी, किसी को पता ही नहीं चला। किसी के मन में भय, डर पैदा ही नहीं हुआ कि इसको फांसी कब हो गई। लोगों की भी याददाश्त कमजोर रहती है, हुई घटना और भूल गए। (MP Cultural Minister) मैं यह चाहती हूं कि बेटियों के दुष्कर्मियों को चौराहे पर फांसी दी जाए और उनका अंतिम संस्कार भी नहीं होने दें, लटका रहने दो इनको फांसी पर। चील-कौवे नोंच-नोंच कर खाएं। जब सब लोग इस दृश्य को देखेंगे तो दोबारा फिर कोई और बेटियों को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं करेगा।
सब तैयार हैं ना, हस्ताक्षर अभियान के लिए। (MP Cultural Minister) हर बेटी, हर मां उस पत्र में अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, मतदाता क्रमांक लिखकर हस्ताक्षर करेगी कि माननीय मुख्यमंत्रीजी अपराध तो यह समाज में करते हैं और फांसी उनको एकांत में हो जाती है। (MP Cultural Minister) इनके दिल दिमाग पर दहशत नहीं है, इन्हें चौराहों पर फांसी दे दो और उनका अंतिम संस्कार मत होने दो।'
(MP Cultural Minister) 'भाड़ में जाए मानवाधिकार आयोग। ऐसे नरपिशाचों का क्या कोई मानवाधिकार हो सकता है, तो हम उसमें यह लाइन भी लिखेंगे कि ऐसे नरपिशाचों का कोई मानवाधिकार नहीं होता, (MP Cultural Minister) इन्हें फांसी पर टंगे-टंगे चील-कौवे खाएं। (MP Cultural Minister) ऐसा ठोस निर्णय जब होगा तो बेटियों की तरफ देखने से पहले हजार बार आदमी सोचेगा।'
Published on:
15 Nov 2022 12:38 pm
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