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अब उज्जैन के चिंतामण गणेश मंदिर में विवाह करने के इतने लगेंगे रुपए

मंदिर प्रशासन समिति ने विवाह पंजीयन की राशि बढ़ाई, विवाह कराने वाले पंडित को अलग से नहीं देना होगी दक्षिणा

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मंदिर प्रशासन समिति ने विवाह पंजीयन की राशि बढ़ाई, विवाह कराने वाले पंडित को अलग से नहीं देना होगी दक्षिणा

उज्जैन. भगवान चिंतामण के दरबार में विवाह रचाने वालों को अब 4100 रुपए देकर पहले पंजीयन कराना होगा। इस राशि में विवाह कराने वाले पंडित की दक्षिणा, अन्य खर्च व ग्राम पंचायत का पंजीयन शुल्क आदि भी शामिल रहेगा। साथ ही मंदिर के पंडे-पुजारी भी निर्धारित गणवेश में नजर आएंगे। मंदिर के बाहर दुकानों के आसपास से अतिक्रमण हटाया जाएगा।

यह निर्णय नवगठित मंदिर समिति की हाल ही में हुई बैठक में लिया गया। कार्यालय में एसडीएम जगदीश मेहरा की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें समिति ने 11 बिंदुओं पर मंथन किया। मंदिर आने वाले दर्शनार्थियों की सुविधाओं और व्यवस्थाओं को लेकर भी चर्चा हुई। प्रबंधक भगवती शर्मा के अनुसार चिंतामण गणेश मंदिर विवाह के लिए प्रसिद्ध है। यहां पाती के लगन भी लिखाए जाने की सुविधा है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा देशभर से लोग आकर शादी ब्याह कार्यक्रम संपन्न करते हैं। ग्राम पंचायत द्वारा इसका पंजीयन किया जाता है। पूजन आदि के खर्च को देखते हुए 4100 रुपए शुल्क तय किया गया है। रसीद के लिए मंदिर परिसर में ही कार्यालय खोलने व विवाह संबंधी दिशा-निर्देश लिखने, कार्यालय में ग्राम पंचायत सचिव को बैठाने आदि की भी व्यवस्था की जाएगी।
पुजारी पहनेंगे लाल व केसरिया सोला

चिंतामण गणेश मंदिर के पंडे-पुजारी अब लाल व केसरिया रंग का सोला पहनेंगे। वहीं गर्भगृह के बाहर परिक्रमा स्थल पर रक्षासूत्र बांधने के लिए बैठने वाले पंडे सफेद धोती-कुर्ता में नजर आएंगे। बाहर पार्किंग व दुकानों के आसपास से अतिक्रमण हटाने का निर्णय भी लिया है।

मंगलनाथ में 730 भातपूजा, 12 कालसर्प निवारण पूजा
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शहर के विभिन्न मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ा। कार्तिक पूर्णिमा और मंगलवार का संयोग होने से श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंगलनाथ मंदिर भी पहुंचे। यहां शिप्रा में स्नान, दान किया और दर्शन-पूजन का लाभ लिया।
मंदिर प्रबंधक एनएस राठौर ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर आए श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी संख्या में भातपूजा और कालसर्प दोष निवारण पूजा कराई गई। दिनभर में करीब 730 भातपूजा और 12 कालसर्प दोष निवारण की पूजा संपन्न हुई। इन पूजा के माध्यम से 1 लाख 39 हजार 850 रुपए की आय हुई। वहीं अंगारेश्वर मंदिर में 343 भातपूजा हुई, जिससे 51 हजार 800 रुपए की आय हुई है।