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पांचाल समाज ने विश्वकर्मा जयंती पर दी अनूठी मिसाल

पुलवामा घटना के विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से मनी जयंती, लगे देशभक्ति के नारे

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नागदा. पुलवामा घटना के विरोध में रविवार को चौथे दिन भी शहर की सडक़ों पर गम और गुस्सा नजर आया। खासतौर पर पांचाल समाज ने घटना के विरोध में विश्वकर्मा जयंति पर होने वाले सभी कार्यक्रमों को निरस्त कर केवल समाज का चलसमारोह निकाला। वह भी बिना किसी शोर गुल के। यह पहला ऐसा समाज था, जिसके धार्मिक चलसमारोह में न तो बैंड-बाजे नजर आए और न ही डीजे की धुन सुनाई दी। समाजजन अपने आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उत्सव मनाने की जगह पुलवामा की घटना के विरोधस्वरूप हाथों में तिरंगा और देशभक्ति के नारे लगाते हुए चल रहे थे। चल समारोह सुबह 10 बजे श्रीराम कॉलोनी स्थित विश्वकर्मा मंदिर से सुबह 10 बजे पूजा और आरती के बाद प्रारंभ हुआ जो बस स्टैंड, जवाहर मार्ग, पं. दीनदयाल उपाध्याय चौक, गुर्जर मोहल्ला, रामसहाय मार्ग, नगर पालिका होते हुए पांचाल धर्मशाला पहुंच समापन हो गया।
इन कार्यक्रमों को भी कर दिया गया निरस्त : पांचाल समाज द्वारा हर वर्ष भगवान विश्वकर्मा जयंती को उत्सव के रूप में मनाने के लिए धार्मिक आयोजन के साथ कई तरह की प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता रहा है। इस वर्ष भी समाज ने दो दिवसीय आयोजन रखे गए थे। जिसमें महिला मंडल की अगुवाई में मेंहदी, रंगोली, सामान्य ज्ञान, चित्रकला आदि प्रतियोगिता होना थी, लेकिन पुलवामा की घटना को देखते हुए प्रतियोगिता सहित सभी आयोजन को निरस्त कर दिया गया। यहां तक की समाज के वरिष्ठों का सम्मान और अतिथियों के उद्दबोधन तक से किनारा कर मात्र आंतकी घटना में शहीद हुए 40 जवानों को श्रद्धांजलि दी।
ये रहे मौजूद
चल समारोह में समाज के संरक्षक जगदीश विश्वकर्मा, संयोजक छगनलाल पांचाल, अध्यक्ष प्रभुलाल पांचाल के अलावा भंवरलाल पांचाल, सत्यनारायण पांचाल, दिलीप पांचाल, मोहन पांचाल, अशोक पांचाल, अनिल पांचाल, नागेश्वर पांचाल, सुनील पांचाल, सुरेश पांचाल, यशवंत पांचाल, शिवनारायण पांचाल, भैरूलाल पांचाल, दिनेश मंडोवरा, हरीश पांचाल, जयश्री पांचाल, राधा पांचाल, पूजा पांचाल, कल्पना पांचाल, अनिता पांचाल, शोभना पांचाल, भागवंताबाई पांचाल, संगीता पांचाल, मीरा पांचाल, शांति पांचाल, विष्णु पांचाल, यशोदा पांचाल, मुन्नी पांचाल, कमला पांचाल, पुष्पा पांचाल, संतोष पांचाल, कोमल पांचाल, लीला पांचाल सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे।