उज्जैन. प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी और धार्मिक नगरी उज्जैन की पहचान महाकाल, शिप्रा और सिंहस्थ से है। श्री महाकाल लोक बनने के बाद हजारों, लाखों लोग रोज उज्जैन पहुंच रहे हैं। निश्चित ही आर्थिक उन्नति के साथ रोजगार के साधनों में बढ़ोतरी हुई है। पर्यटकों का उज्जैन के प्रति आकर्षण बनाए रखना भविष्य में बड़ी चुनौती होगा क्योंकि देश-दुनिया से आ रहे श्रद्धालु बेहतर छवि और अच्छा अनुभव लेकर नहीं जा रहे हैं।
ये बातें पत्रिका कार्यालय में शुक्रवार को शहर विकास के रोडमैप और विजन 2030 के जन एजेंडा पर आयोजित टॉक शो में शहर के प्रबुद्धजन ने कही। इस टॉक शो में पूर्व विधायक, उद्योगपति, सीए, वकील, फिल्म मेकर, सामाजिक कार्यकर्ता, समाजसेवी और खेल संगठनों से जुड़ी हस्तियां शामिल हुईं। सभी ने एक स्वर में कहा कि जब अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (गुरुद्वारे) में रोज पहुंच रहे लाखों लोगों को सभी सुविधाएं नि:शुल्क मिल रही हैं, तो हमारे महाकाल मंदिर में शुल्क क्यों? वीआइपी कल्चर क्यों हावी है। पौराणिक और ऐतिहासिक शहर उज्जैन को विकास पथ पर फर्राटा भरने के लिए समग्र योजना बनानी होगी। महाकाल लोक के साथ धार्मिक स्थलों के विकास, उद्योगों की स्थापना, शिक्षा और शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर ब्लू प्रिंट बनाना होगा। साथ ही विकास कार्यों को समय सीमा में बांधना भी जरूरी है।
अफसरों के आगे जनप्रतिनिधि नहीं रख पाते मुद्दे की बात
टॉक शो में अहम् बात सामने आई कि शहर विकास की योजनाओं पर हमारे जनप्रतिनिधि सवाल नहीं उठाते हैं। प्रशासनिक अफसर जो योजना बनाते हैं, उसे स्वीकार लिया जाता। यह नहीं देखा जाता कि शहर हित में है या नहीं, जबकि पहले जनप्रतिनिधि सशक्त थे, जनता के लिए हर स्तर पर लड़ने को तैयार रहते थे। महाकाल लोक के बाद शहर में बदले हालात को लेकर भी हमारे जनप्रतिनिधियों के पास ठोस समाधान नहीं है। होना यह चाहिए कि बड़ी योजना या विकास कार्य को जनता के बीच रखा जाए और सर्वसम्मति से अमली जामा पहनाया जाए। शहर विकास के मुद्दों पर हमारे जनप्रतिनिधियों इंदौर के नेताओं से सीख लेने की जरूरत है, जो शहर हित में पार्टी-दल से ऊपर उठकर एक हो जाते हैं।
महाकाल दर्शन व्यवस्था बेहतर हो
महाकाल मंदिर में दर्शन व्यवस्था ओर बेहतर करने की जरूरत है। श्रद्धालुओं से अच्छा व्यवहार नहीं होता है, तो दोबारा कोई नहीं आएगा। दु:ख इस बात का है कि जनप्रतिनिधि हमारी भावनाओं को नहीं समझते और न बात ऊपर पहुंचा पाते हैं। -दिनेशचंद्र पंडया, पूर्व अध्यक्ष, बार एसोसिएशन
डेवलपमेंट में तय हो अकाउंटेबिलिटी
महाकाल लोक के बाद उज्जैन उत्तर का ट्रैफिक जाम से दम घुट रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में लेतलाली भारी पड़ रही है। फ्रीगंज ब्रिज आखिर क्यों नहीं बन पाया? आधारभूत संरचना विकास के लिए नेताओं की अकाउंटेबिलिटी तय करना होगी। -हाजी शेख नियाज मोहम्मद, सेवानिवृत्त पुलिस ऑफिसर
वीआइपी कल्चर पर रोक लगना चाहिए
महाकाल मंदिर में आम लोगों से हर बात का शुल्क वसूलते हैं जबकि वीआइपी के लिए सारे नियम टूट जाते हैं। अमृतसर के गोल्डन टेंपल में दर्शन, भोजन सहित सभी सुविधाएं नि:शुल्क हैं, तो फिर महाकाल में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है? – हरदयालसिंह ठाकुर, अभिभाषक
पारिवारिक उद्योगों ने नहीं जुड़ रहे युवा
जब पीएम के लिए एक दिन में सडक़ बन सकती है तो उज्जैन में औद्योगिक क्षेत्र के विकास के काम क्यों नहीं हो सकते। छोटे उद्योग परेशानी में हैं। अव्यवस्थाओं और अनदेखी से नई पीढ़ी उद्योग की तरफ नहीं आ रही है। यह चिंता का विषय है। – राजेश माहेश्वरी, सदस्य, लघु उद्योग भारती
सिंहस्थ नदी किनारे ही आयोजित हो
सिंहस्थ उज्जैन की पहचान है। सिंहस्थ को इलाहबाद के कुंभ की तरह त्रिवेणी से कालियादेह महल तक शिप्रा किनारे आयोजित करना चाहिए। इससे मध्य क्षेत्र का शहर प्रभावित नहीं होगा, जबकि हमारे यहां शहर पर ही दबाव बढ़ता है।
– रवींद्र पेंढारकर, लघु उद्योग भारती
स्वास्थ्य सुविधाओं की नब्ज टटोलना होगी
संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद शहर की चिकित्सा सुविधाएं बेहतर नहीं हैं। अस्पताल में मशीनें हैं लेकिन ऑपरेट करने वाले नहीं। सीनियर सिटीजन की सुविधाएं बढ़ाने के साथ माधव कॉलेज में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय बनाना चाहिए। – संजय चौबे, मप्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन
धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में हो विकसित
महाकाल मंदिर के आसपास के मार्गों का चौड़ीकरण होना चाहिए। हमारे यहां भगवान सांदीपनि का आश्रम भी है। शहर के विभिन्न धार्मिक स्थलों का सम्पूर्ण विकास करके धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में उज्जैन को विकसित करना जरूरी है। – जुबेर कुरैशी, अभिभाषक
विकास की समग्र सोच रखना होगी
उज्जैन में विकास सही जगह होने की जरूरत है। अभी लड़ाई यह हो रही है कि अपने-अपने क्षेत्र में विकास किया जाए। महाकाल लोक के बाद सोशल मीडिया पर छवि खराब करने के वीडियो आ रहे हैं। इन्हें रोकने की सख्त जरूरत है।
– अनुभव प्रधान, सीए
औद्योगिक विकास पर फोकस करना होगा
पुराने शहर की पहचान खत्म हो रही है, हमें शहर की विरासत, पौराणिकता बचाने की जरूरत है। आखिर ऐसा क्यों हुआ कि श्री सिंथेटिक्स, इस्को पाइप फैक्ट्री जैसे बड़े उद्योग बंद हो गए। हमें उद्योग विकास पर फोकस करने की आवश्यकता है। – महेंद्र सोलंकी, कोषाध्यक्ष, बार एसोसिएशन
लोक कला और संस्कृति का समझें महत्व
प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी में लोक कलाओं को सहेजने की पहल करना होगी। भैरवगढ़ की बटीक प्रिंट दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन यह लोक कला हाशिए पर है। लोक कला और संस्कृति को वैभवशाली स्वरूप देकर नई पीढ़ी तैयार की जाए। – प्रीति भार्गव, पूर्व विधायक
मलखंभ से हमारी पहचान लेकिन सुविधाएं नहीं
खेल क्षेत्र में शहर में जैसा विकास होना था, ऐसा नहीं हुआ। एक भी व्यवस्थित खेल मैदान हमारे पास नहीं है। मलखंभ से हमारे यहां राष्ट्रीय खिलाड़ी निकले लेकिन पर्याप्त सुविधा नहीं है। युवाओं में बढ़ते नशे की लत रोकने की आवश्यकता है। – नितिन श्रीवास्तव, क्रिकेट कोच
पर्यटकों को अच्छा अनुभव देने पर काम करना होगा
श्री महाकाल लोक से निश्चित ही बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिला, लेकिन आवश्यक संसाधन नहीं जुटाने से शहरवासी ट्रैफिक जाम से जुझ रहे हैं। ऑटो रिक्शा में किराया सूची चस्पा नहीं है। पर्यटकों को अच्छा अनुभव देने पर काम करना होगा।
महाकाल मंदिर टकसाल, उद्योग और आस्था का केंद्र
महाकाल मंदिर शासन के लिए टकसाल, कर्मचारियों के लिए उद्योग तो जनता के लिए आस्था का केंद्र है। इसी से समझ जाइए हम किस दिशा में और कैसे काम कर रहे हैं। हमें विश्वविख्यात ज्योतिर्लिंग को आस्था का केंद्र ही बनाए रखना है। -आशुतोष शुक्ला, एजुकेशनिस्ट
फिल्म और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्रीज की संभावना
उज्जैन में फिल्म और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्रीज के डेवलपमेंट की संभावना है। फिल्में शहर में शूट होती हैं तो होटल, ट्रांसपोर्ट सहित अन्य इंडस्ट्रीज बढ़ सकती हैं। वेडिंग डेस्टिनेशन में शहर तब्दील हो सकता है। शहर की ब्रांडिंग दुनिया में होगी। – अनुज श्रीवास्तव, फिल्म मेकर
महाकाल वन में लोक की योजना पर हो पुनर्विचार
महाकाल लोक को मंदिर के पास बना दिया, जबकि इसे शिप्रा नदी पार बनाते तो ज्यादा सुविधाजनक होता। इससे आस्था और धार्मिक पर्यटन दोनों अलग होते। महाकाल लोक के अगले फेज पर हमें ध्यान देना चाहिए कि इसे मंदिर से दूर ले जाएं। – संजय सक्सेना, पूर्व सदस्य, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट बोर्ड
शहर को भिखारी मुक्त करें, ट्रैफिक व्यवस्था सुधारें
शहर आने वाले दर्शनाथियों से भिखारी झूमते रहते हैं, जिससे उन्हें परेशानी होती है। रामघाट, महाकाल व अन्य स्थानों पर भिखारियों के कारण यात्रियों से दुर्व्यवहार की घटनाएं हो चुकी हैं। प्रशासन इन्हें हटाकर सामाजिक संस्थाओं को सौंप दे। – दीपक राजवानी, समाजसेवी
हमें शहर विकास का मांग पत्र सौंपना होगा
चुनाव के दौर में कोई घोषणा पत्र ला रहा है, तो कोई संकल्प पत्र की बात कह रहा है। शहर विकास का रोडमैप बनाने के लिए शहरवासियों को मांग पत्र तैयार करना चाहिए। इसी मांग पत्र को जनप्रतिनिधियों को सौंपना चाहिए, जिससे सही विकास हो। – एसएस नारंग, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी, सिख समाज के प्रवक्ता
विक्रम विवि बने विश्वास का केंद्र
श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली रहे उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय की स्थिति बदतर होती जा रही है। धरोहर रूपी यूनिवर्सिटी को बिना सोचे-विचारे विवादों का अखाड़ा बना दिया है। एजुकेशन हब के रूप में स्थापित करने के लिए विवि को मजबूती देना होगी।
ये हों शहर की प्राथमिकता
– महाकाल मंदिर में नि:शुल्क ओर सुविधाजनक दर्शन उपलब्ध कराए जाएं।
– शिप्रा नदी को स्वच्छ और प्रवाहमान बनाने पर काम किया जाए।
– महाकाल मंदिर के अतिरिक्त अन्य मंदिरों का विकास के साथ स्थानीय लोक संस्कृति को बढ़ावा मिले।
– छोटे उद्योगों के लिए क्लस्टर बने और सुविधाएं जुटाई जाए।
– सिंहस्थ की योजना पर काम शुरू करे। सिंहस्थ शिप्रा नदी किनारे आयेाजित किया जाए।
– शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर करने फ्लाय ओवर, पैदल पुल तथा चौराहे का चौड़ीकरण किया जाए।