
उज्जैन में चल रही पं. प्रदीप मिश्रा की कथा, जमकर पैसा कमा रहे लोग
उज्जैन. सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में चल रही है, यहां देशभर से करीब 5 लाख से अधिक श्रद्धालु आए हैं, ऐेसे में 10 अप्रैल तक चलने वाली कथा से जहां एक तरफ श्रद्धालुओं को धर्म और ज्ञान का लाभ मिल रहा है, वहीं दूसरी और लोग इस अवसर पर जमकर पैसा भी कमा रहे हैं, क्योंकि चप्पे-चप्पे पर खाने-पीने से लेकर अन्य चीजों की दुकानें लग गई है, ऐसे में कई दुकानों पर तो भीड़ लगी रहती है। इस कथा से लोगों को काफी रोजगार मिला है।
दरअसल जब से उज्जैन में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा शुरू हुई है, तभी से कथा स्थल से लेकर दूर-दूर तक चाय, नाश्ता, खाना, पानी, चाट, कपड़े, खिलौने आदि की दुकानें सज गई है, जहां दूर दूर तक कोई नजर नहीं आता था, वहां इस समय काफी भीड़ नजर आ रही है, इस कारण ये दुकानें भी जमकर चल रही है। इन दुकानों से जहां लोगों को चाय, पानी, नाश्ता और भोजन की सुविधा मिल रही है, वहीं दूसरी और इन दुकानदारों को भी पैसा कमाने का अच्छा अवसर मिला है।
महाकालेश्वर की नगरी में चल रही पं. प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा में भक्तों की संख्या दिन दुनी और रात चौगुनी गति से बढ़ रही है। कथा स्थल के क्षेत्र में सिंहस्थ सा नजारा दिख रहा है। धर्म के साथ अर्थ गंगा भी अविरल बह रही है। स्थानीय व बाहर से आए लोगों ने कथा स्थल के आसपास सैकड़ों दुकानें लगा रखी हैं। दस रुपए में ताजा ठंडा तरबूज तो कैरी-पुदीना का पना, गन्ने का रस के साथ आयुर्वेदिक शबरत श्रावकों का गला तर कर रहा है। पंडाल के एक किलो मीटर परिक्षेत्र में छोटी-बड़ी खान-पान के साथ विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की एक हजार से अधिक दुकानें, स्टाल चल रहे हैं तो कथा श्रावकों की संख्या भी शुक्रवार को तकरीबन 7 लाख पहुंच गई।
5 लाख में 80 फीसदी महिलाएं
महापौर मुकेश टटवाल के अनुसार शुक्रवार को कथा श्रवण करने पहुंचे लोगों की संख्या 5 से 7 लाख के आसपास होगी। पंडाल में लगा डोम छोटा पड़ जाने से अतिरिक्त डोम व टेंट की व्यवस्था की गई। महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है, जसका आकलन 80 फीसदी लगाया जा रहा है। शिवमहापुराण कथा में दिन ब दिन बढ़ती श्रावकों की संख्या को देखते हुए समापन के दिन 10 लाख लोगों का अनुमान लगाया जा रहा है।
ठेले से दो हजार की दिहाड़ी
वृद्धावस्था व मोटापे के चलते कई लोगों को पंडाल तक पहुंचने में ठेले की सवारी करना पड़ रही है। एक ठेला चालक ने बताया कि प्रति व्यक्ति वह 20 से 30 रुपए लेता हूं, जबकि कथा के दौरान करीब 15 राउंड में 105 लोगों को पंडाल व पंडाल से पार्किंग तक पहुंचाता है। इस प्रकार उसे प्रतिदिन 2 से 3 हजार रुपए की दिहाड़ी हो जाती हे। ठेला चालकों को रोजगार मिल रहा है।
पंडाल में व्यवस्था बनी रहे, पुलिस ने प्रत्येक रास्ते पर 500 मीटर पहले ही बैरिकेडिंग की है। बस यहीं से सड़क के दोनों ओर अस्थाई मार्केट शुरू हो जाता है, जहां प्रत्येक 50 मीटर पर 10-10 स्टाल की दुकानें लगी हैं। इनमें खान-पान के साथ धार्मिक पुस्तकें, अगरबत्ती, फल यहां तक की बर्तन की दुकानें भी सजी हैं। इधर, कथा समिति ने अपने स्तर पर भोजन व पेयजल की व्यवस्था की है। जिसके बाद भी सड़े किनारे खान-पान व पेयजल, शरबत आदि की दुकानें खूब चल रही हैं। पार्किंग से पंडाल तक पैदल जाने वाले लोग रास्ते में खरीददारी भी कर रहे हैं।
Published on:
08 Apr 2023 10:34 pm
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