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42 वर्ष उम्र में यूजीसी नेट परीक्षा की तैयारी की, पहले प्रयास में उत्तीर्ण हुईं

14 साल पहले एमबीए के बाद पढ़ाई छोड़ी, भविष्य की चिंता ने अवसाद में डाल दिया, बावजूद हार नहीं मानी

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उज्जैन. शिक्षा ग्रहण करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। अगर आपमें जुनून, साहस और मेहनत करने का माद्दधा है तो विषम परिस्थितियों में भी शिक्षा ग्रहण कर सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है।

देशभर के 22 हजार परीक्षार्थियों में उत्तीर्ण हुए 1345 में नागदा की शीतल भी शामिल, देशभर के शासकीय कॉलेजों में निकलने वाली अस्सिटेंट प्रोफेसर की भर्ती में मिलेगी प्राथमिकता, 8 महीने रोज 10 से 12 घंटे पढ़ाई को दिए। नागदा की शीतल जैन ने पहली ही बार में यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली गांधीग्राम कॉलोनी निवासी 42 वर्षीय महिला शीतल जैन के है।

बेटी के पिता दिनेश एक कपड़ा व्यापारी
14 साल पहले एमबीए कर शिक्षा छोड़ चुकी कपड़ा व्यापारी दिनेश जैन की बेटी शीतल ने महज 8 महीने की तैयारी में यूजीसी नेट की परीक्षा क्लियर की है। नवंबर 2021 में हुई इस परीक्षा में देशभर के 22 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे। जिसमें से 1345 ने परीक्षा उत्तीर्ण की है। इसमें नागदा की शीतल एक है। इस परीक्षा का कट ऑफ 160 अंक था। इसके इतर शीतल ने 170 अंक अर्जित किए है। यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही शीतल के लिए सरकारी नौकरी रोजगार के रास्ते भी खुल गए हैं। देशभर के शासकीय कॉलेजों में निकलने वाली अस्सिटेंट प्रोफेसर की भर्ती में शीतल को प्राथमिकता मिलेगी।

अप्रैल 2021 से ऑन लाइन तैयारी शुरू की
यूजीसी नेट की परीक्षा पास करने वाली शीतल ने कहा शिक्षा इसलिए अनमोल है भविष्य की चिंता ने अवसाद में डाला, मेडिटेशन के हथियार ने मेहनत की ज्योत जलाई तो हुआ सफलता का ऊजियारा मैंने लगभग 14 साल पहले एमबीए क्लियर किया था। कुछ पारिवारिक परिवर्तन हुए। यह बात दिमाग में इतनी घर कर गई कि में अवसाद में जाने लगी। चूंकि मुझे पढने का बेहद शौक था। इसलिए मेरे परिचित कीर्ति शर्मा, नेहा खान, योगेश शर्मा ने मुझे इसी दिशा में बढ़ने को कहा। भविष्य संवारने की उम्र गुजर चुकी थी, इसलिए यह चुनौती बड़ी थी कि आखिर ऐसा कया किया जाएं कि बेहतर भविष्य का नींव मजबूत बनाई जा सकें। कुछ सूझ नहीं रहा था...अचानक एक दिन इंटरनेट खोला, यू-ट्यूब खंगाला,यूजीसी नेट का सुझाव मिला...बस इसी दिशा में बढ़ गई। अप्रैल 2021 से ऑनलाइन तैयारी शुरू की। अवसाद से बाहर जाने के लिए मेडिटेशन को हथियार बनाया। 8 महीने तक रोज 10 से 12 घंटे पढ़ाई को दिए। 30 नवंबर 2021 को परीक्षा दी, डर था कि पता नहीं क्‍या होगा। मगर 19 फरवरी को आएं परिणाम ने सफलता का ऊजियारा किया। कटऑफ 160 में से मुझे 170 अंक प्राप्त हुए।

अविवाहित है शीतल
बकौल शीतल अविवाहित है। उनके पिता दिनेश जैन की कपड़े की दुकान है। माता मनोरमा जैन का 2008 में निधन हो चुका है। भाई सन्नी जैन मुंबई में निजी बैंक में कार्यरत है। यूजीसी क्लियर करने के साथ शीतल अब भी ब्रह्माकुमारी से जुड़ी है और सेवाएं दे रही है।