
नीलगंगा क्षेत्र के जूना अखाड़ा आश्रम के संतों और रहवासियों में मंगलवार दोपहर धर्मशाला पर कब्जे को लेकर विवाद गरमा गया। रहवासियों ने आरोप लगाए कि जूना अखाड़ा के संतों ने उनकी धर्मशाला पर कब्जा कर लिया। नीलकंठेश्वर मंदिर के आसपास भी बनाए आश्रम में संत होटल का धंधा चला रहे हैं, पीछे गार्डन है वह भी किराए पर देते हैं, जबकि इन स्थानों पर धार्मिक आयोजन होना चाहिए।
उज्जैन. नीलगंगा क्षेत्र के जूना अखाड़ा आश्रम के संतों और रहवासियों में मंगलवार दोपहर धर्मशाला पर कब्जे को लेकर विवाद गरमा गया। रहवासियों ने आरोप लगाए कि जूना अखाड़ा के संतों ने उनकी धर्मशाला पर कब्जा कर लिया। नीलकंठेश्वर मंदिर के आसपास भी बनाए आश्रम में संत होटल का धंधा चला रहे हैं, पीछे गार्डन है वह भी किराए पर देते हैं, जबकि इन स्थानों पर धार्मिक आयोजन होना चाहिए। बाहर से आने वाले यात्री आश्रम की होटल में रुकते हैं और शराब खोरी कर बोतलें हमारी ओर फेंक जाते हैं। इधर संतों का कहना है कि वर्ष 1960 से ही यह सम्पत्ति हमारी है। हंगामे की सूचना पर पहुंची एसडीएम कल्याणी पाण्डे और सीएसपी सचिन परते ने दोनों पक्षों को फिलहाल आश्वासन दे मामला शांत कराया और उनके दस्तावेज देखने के बाद निर्णय लेने को कहा है।
बोर्ड हटाने से उपजा था विवाद
दरअसल गंगा दशमी पर नीलगंगा के जूना अखाड़ा आश्रम पर संतों द्वारा पर्व मनाया जा रहा है। यहां स्थित धर्मशाला पर संतों ने नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का बोर्ड हटा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा का बोर्ड लगा दिया। इस बोर्ड के लगते ही आसपास के रहवासियों ने हंगामा शुरू कर दिया और टेंट बांध प्रदर्शन करने की कोशिश की। इसी बीच आश्रम के संत और रहवासी आमने सामने हो गए। सूचना पर पहुंची तीन थाना पुलिस माधवनगर, नीलगंगा और महाकाल थाना पुलिस सहित सीएसपी सचिन परते व एसडीएम कल्याणी पाण्डे मौके पर पहुंची और मामला शांत करवाने की कोशिश की परंतु रहवासी प्रदर्शन करने पर डटे रहे। लोगों का कहना था कि संतों ने हमारी धर्मशाला पर कब्जा कर लिया है। मामले में एसडीएम और सीएसपी ने दोनों पक्षों को फिलहाल गंगा दशमी पर्व शांतिपूर्वक मनाने को कहा और दस्तावेज के साथ बुधवार दोपहर कार्यालय बुलाया है। इसके बाद आगे की निर्णय की बात कही है।
संतों का कहना -1960 से हमारी संपत्ति
जूना अखाड़ा के महामंत्री हरिगिरि का कहना है कि यह जमीन हमने वर्ष 1960 में खरीदी थी। धर्मशाला और मंदिर में भगवानसिंह पूजा करते थे, वर्ष 2016 के अंत में उन्होंने ही मुझे घर बुला कागज सौंपे थे बाद में उनके निधन के बाद भी बेटे ने पिता की इच्छा को आगे बढ़ा हमें कब्जा दिया।
लोगों का कहना - आश्रम में होटल का धंधा शराबियों से रहते हैं परेशान
दोपहर में विवाद खत्म होने के बाद क्षेत्र में रहने वाले दिल्लू पहलवान ने मीडिया को बताया कि, संत आश्रम की आढ़ में यहां होटल चला रहे हैं। जिस जमीन पर संतों का कब्जा है वहां भी गार्डन बना शादी, ब्याह और अश्लील पार्टियों के लिए किराए पर दे रहे हैं। होटल में रुकने वाले शराब खोरी कर उनके क्षेत्र में बोतलें फेंक जाते हैं, जबकि आश्रम जूना अखाड़ा के संतों को रुकने के लिए बनाया था और शासन ने भी धार्मिक गतिविधियों के लिए ही संतों को पैसा दिया था, जबकि ये तो धंधा कर रहे हैं।
Published on:
31 May 2023 01:50 am
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