
Ujjain News: अंगीठी से गर्माहट देने के साथ-साथ भोग प्रसाद में गरमागरम हलवा और दूध-जलेबी परोसी जा रही है।
उज्जैन. ठंड का दौर शुरू होते ही देवालयों में प्रतिमाओं को ओढऩी पहनाने तथा अंगीठी से गर्माहट देने का क्रम शुरू हो गया है। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली महर्षि सांदीपनि आश्रम में शीतलहर के चलते भगवान को स्वेटर, टोपा एवं गुरुजी एवं गुरुमाता को शॉल ओढ़ाई जा रही है। साथ ही संध्याकाल में भगवान को सिगड़ी लगाकर ताप भी दिया जा रहा है। अंगीठी से गर्माहट देने के साथ-साथ भोग प्रसाद में गरमागरम हलवा और दूध-जलेबी परोसी जा रही है।
मौसम में बदलाव आते ही
मौसम में बदलाव आते ही भगवान की दिनचर्या भी बदलने लगी है। रूप चतुर्दशी से भगवान महाकाल को गरम जल से स्नान कराने का क्रम शुरू हो चुका है, वहीं ठंड से बचाव के लिए श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली में अंगीठी लगाई गई है। जैसे-जैसे सर्दी का असर और बढ़ेगा, वैसे-वैसे शैव और वैष्णव मंदिरों में भगवान की प्रतिमाओं को ओढऩी, अंगीठी तथा गरम जल से स्नान कराए जाने की परंपरा का निर्वाहन शुरू किया जाएगा। सांदीपनि आश्रम के पुजारी रूपम व्यास के अनुसार तेज ठंड के दिनों में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमाओं को ओढऩी से ढंक दिया जाता है और सामने अंगारों से भरी अंगीठी चेताई जाती है।
भोग में भी करते हैं बदलाव
पुजारी व्यास ने बताया कि ठंड के मौसम में संध्या काल के समय अंगीठी से आंच दी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के बाद भगवान श्रीकृष्ण-बलराम और सुभद्राजी को स्वेटर-टोपा पहनाया जाता है, वहीं महर्षि व गुरु माता को शॉल ओढ़ाई जा रही है। भोग में भी गरम तासीर के पकवान परोसे जा रहे हैं। इनमें मूंग का हलवा, गाजर का हलवा, दूध-जलेबी आदि का भोग लगाया जा रहा है।
महाकाल कर रहे गरम जल से स्नान
26 अक्टूबर रूप चतुर्दशी से ही बाबा महाकाल गरम जल से स्नान करने लगते हैं। रूप चतुर्दशी के दिन तड़के भस्म आरती में दिवाली मनाई जाती है। साथ ही तड़के चार बजे भगवान की भस्म आरती के दौरान उनको गरम जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होता है। महेश पुजारी ने बताया कि यह क्रम फाल्गुन मास की पूर्णिमा तक चलता है।
Published on:
07 Dec 2019 10:25 am
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