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जानें क्यों सूर्यग्रहण में भी नहीं बंद होता महाकाल का मंदिर, सूतक में भी होती है भस्म आरती

सूर्यग्रहण के दौरान महाकाल के गर्भगृह में पुजारी जाप करते हैं।

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उज्जैन. साल 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण आज ( 26 दिसंबर ) को सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू हुआ। सूर्य ग्रहण के दौरान कोई भी पुण्य कार्य नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य लगने से पहले सूतक काल लगता है। सूतक काल लगते ही सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है यहां तक की इस दौरान मंदिरों के पट भी बंद हो जाते हैं और किसी भी मंदिर का पट नहीं खुलता है। लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थिति महाकाल मंदिर के पट सूतक काल में भी बंद नहीं होते हैं।

महाकाल मंदिर में हर दिन की भांति आज भी भस्म आरती हुई है। ऐसी मान्यता है कि महाकाल की भस्म आरती नहीं रोकी जाती है, केवल महाशिवरात्रि के दिन तड़के 4 बजे होने वाली भस्म आरती को दोपहर में किया जाता है। इसके अलावा कोई भी परिस्थिति हो महाकाल की भस्म आरती सुबह 4 बजे से शुरू होती है।


ये भी है मान्यता
हिन्दू धर्म के अनुसार, ऐसी मान्यता भी है कि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दौरान देशभर के सभी वैष्णव मंदिरों के पट बंद किए जाते हैं। लेकिन शैव मंदिरों के पट हमेशा खुले रहते हैं। सूर्य ग्रहण के दौरान महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पुजारी मौजूद रहते हैं और वहां बैठकर जाप करते हैं लेकिन इस दौरान वो महाकाल के ज्योतिर्लिंग को स्पर्श नहीं करते हैं। सूर्य ग्रहण के बाद सभी पुजारी बाहर निकलते हैं और फिर मंदिर का शुद्धिकरण किया जाता है इसके बाद जो भोग सुबह लगाया जाता है वो भोग दोपहर में करीब 12 बजे लगाया जाता है।


भक्तों का प्रवेश निषेध पर नहीं बेद होता मंदिर
सूर्य ग्रहण के दौरान महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों को जाने से रोक दिया जाता है लेकिन मंदिर के पट नहीं बंद किए जाते हैं। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण होगा उसके बाद भक्त गर्भगृह में पहुंचकर महाकाल के दर्शन कर सकते हैं।