
10 अधिकारियों की टीम ने किया सीमांकन, सीमांकन से असंतुष्ट किसान बोला- कोर्ट में लगाऊंगा न्याय की गुहार
उज्जैन. कथित कब्जे की जमीन पर बने श्मशान घाट के मामले में मंगलवार को सीमांकन हुआ। इसके बाद पूरे मामले में नया पेंच आ गया है। सीमांकन में श्मशान घाट दानदाता की जमीन पर होना पाया गया वहीं पहुंच मार्ग का बड़ा हिस्सा आवेदक पीडि़त किसान की जमीन पर मिला है। सीमांकन के बाद यह बड़ा सवाल भी खड़ा हो गया है जब श्मशान घाट खेत से बाहर हो गया तो रास्ता कैसे निकल गया?
मामला घट्टिया तहसील की ग्राम पंचायत सारोला का है। पीडि़त जमीन मालिक प्रहलाद पिता गोपी निवासी ग्राम पुरीखेड़ा की ग्राम पंचायत सारोला में भूर्मि सर्वे नं. 143/1 रकबा 0.3900 आरे उसकी मां चैनाबाई पति गोपी के नाम से दर्ज है। किसान प्रहलाद का आरोप है, भूमि पर सरपंच और सचिव ने श्मशान घाट का निर्माण करवाया। प्रहलाद ने बताया कि मेरी भूमि पर कालूसिंह ने कब्जा कर रखा था और जमीन पंचायत को दान में दे दी। पंचायत ने भूमि पर रोड निर्माण कर दिया है। किसान की शिकायत के बाद श्मशान घाट और रोड की इसी जमीन का सीमांकन करने के लिए मंगलवार को 10 अधिकारियों की टीम जमीन का सीमांकन करने पहुंची थी। टीम में 4 महिला पटवारी, 4 पुरुष पटवारी, एक गिरदावर और एक आरआइ शामिल थे। दोपहर 1 बजे सीमांकन शुरू हुआ। पहले आसपास की खेत से नपती की गई। इसके बाद श्मशान घाट पर जाने वाले रास्ते (लगभग 400 मीटर तक ) की जमीन की नपती की। नपती के दौरान 4 मीटर से 6 मीटर (लगभग 20 फीट तक चौड़ा) का रास्ता प्रहलाद के खेत में आ गया। नपती श्मशान घाट तक पहुंची तो श्मशान घाट की जमीन प्रहलाद के खेत से बाहर होकर कालूसिंह की निकल गई, जो उसने श्मशान घाट बनाने के लिए पंचायत को दी थी।
सीमांकन से प्रहलाद असंतुष्ट
सीमांकन की कार्रवाई से असंतुष्ट प्रहलाद ने आपत्ति जताई और कहा कि जब रोड की जमीन मेरे खेत की है तो श्मशान घाट की जमीन कैसे बाहर हो गई। प्रहलाद ने दावा किया है कि नपती के दौरान लगभग दो फीट श्मशान घाट की जमीन मेरी निकली है। प्रहलाद ने अब यह मामला कोर्ट में उठाने की बात कही।
बड़ा सवाल- जब श्मशाट घाट कालूसिंह की जमीन पर बना तो रास्ता प्रहलाद की जमीन पर कैसे बना?
सीमांकन के बाद यह सामने आया कि पंचायत ने जहां श्मशान घाट बनाया, वह जमीन दानदाता कालूसिंह की है, लेकिन पहुंचने के लिए जो रास्ता बनाया, वह प्रहलाद की जमीन से निकला है। सवाल यह कि जब श्मशाट घाट कालूसिंह की जमीन पर बना तो रास्ता प्रहलाद की जमीन पर कैसे बन गया, जबकि रास्ते के लिए प्रहलाद से सहमति तक नहीं ली गई।
इनका कहना
सीमांकन के दौरान श्मशान घाट तक पहुंचने के लिए रास्ते की 4 से 6 मीटर (लगभग 20 फीट) जमीन प्रहलाद के खेत की तरफ निकली है, जबकि श्मशान घाट का निर्माण कालूसिंह की जमीन में हुआ है जो उसने दान की थी।
बहादुरसिंह, पटवारी
अभी सीमांकन की रिपोर्ट मेरे पास नहीं पहुंची है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे कुछ कहा जा सकेगा।
देवकुंवर सोलंकी, तहसीलदार
Published on:
02 Nov 2022 02:02 am
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