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नागपुर के संतरों को मात दे रहे मालवा के संतरे

यहां से खरीदकर अपन बता संतरे एक्सपोर्ट करता है नागपुर, तीन ब्लॉक में हो रही संतरे की खेती, राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन का लक्ष्य नहीं मिलने से तीन साल में नहीं बड़ा रकबा

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The oranges of Malwa are beating the oranges of Nagpur

यहां से खरीदकर अपन बता संतरे एक्सपोर्ट करता है नागपुर, तीन ब्लॉक में हो रही संतरे की खेती, राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन का लक्ष्य नहीं मिलने से तीन साल में नहीं बड़ा रकबा

पत्रिका किसानी

अतुल पोरवाल

उज्जैन.
पारंपरिक खेती के साथ किसान व्यावसायिक खेती की ओर बढ़े तो जिले में 3933 हेक्टेयर पर संतरे की खेती होने लगी। फलोद्यान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन योजना के तहत उज्जैन जिले के लगभग 4500 किसान इतने ही बगीचे लगाकर संतरे की उन्नत खेती कर रहे हैं। उत्पादन की गुणवत्ता भी इतनी बेहतर की नागपुर वाले यहां से संतरे खरीदकर अपना बता विदेशों में एक्सपोर्ट कर रहे हैं। उद्यानिकी सहायक संचालक सुभाष श्रीवास्तव के अनुसार जिले में संतरे की सबसे अधिक तराना, महिदपुर तथा खचरौद विकासखंडों में हो रही है, जहां के किसानों को बड़ा फायदा हो रहा है। उत्पादित संतरे की क्वालिटी इतनी बढिय़ा कि खेत से ही 38 रुपए किलो बिक रहे हैं। संतरे बेचने के लिए किसान को मंडियों के चक्कर नहीं ललगाना पड़ रहे हैं। इससे कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है। इस बार 3933 हेक्टेयर पर लगे संतरे की खेती से 76693.5 मेट्रीक टन उत्पादन हुआ है। हालांकि जिले में संतरे की खेती का रकबा बढ़ सकता है, लेकिन पिछले ३ वर्षों से राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन से कोई लक्ष्य नहीं मिल रहा है। बता दें कि इस योजना के तहत किसानों को सब्सीडी मिल जाती है, जो उन्हें नई खेती की ओर प्रोत्साहित करती है।

संतरे के उन्नत किसान
1. किसान का नाम- रघुवीर सिंह गांव दीलौद्री, विखं तराना
रकबा- 6 बीघा पर संतरे का बगीचा
पेड़ों की संख्या- 8 साल पहले 450 पौधे लगाए थे, जो अब पेड़ का आकार ले चुके हैं।
दूसरी फसल- संतरे की खेती में पौध लगाने के 4 साल बाद फल आने शुरू हो जाते हैं। इस लिहाज से रघुवीर सिंह ने इस बार अपनी खेती से दूसरी फसल ली, जो 6 लाख रुपए में बेची।

2. किसान का नाम- राकेश शर्मा गांव पिपलिया बाजार, विखं तराना
रकबा- 3 बीघा का बगीचा
पेड़ों की संख्या- 7 साल पहले 200 पौधे लगाए थे, जो अब पेड़ का आकार ले चुके हैं।
दूसरी फसल- संतरे की खेती में पौध लगाने के 4 साल बाद फल आने शुरू हो जाते हैं। लेकिन अच्छी तकनिक की खेती से किसान राकेश शर्मा ने इस बार अपनी खेती से दूसरी फसल ली, जो 2.5 लाख रुपए में बेची।