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मां सरस्वती को प्राण-प्रतिष्ठा का इंतजार…चार महीने पहले मूर्ति लाए और हॉल में रखकर भूल गए

बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। ज्ञान की देवी का आशीर्वाद पाने के लिए विद्यार्थी और बच्चे पूजा करते हैं।

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उज्जैन. बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर ज्ञान की देवी का आशीर्वाद पाने के लिए विद्यार्थी और बच्चे उनकी पूजा करते हैं। इसके विपरित महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में मां सरस्वती को प्राण-प्रतिष्ठा का इंतजार है। चार माह से मूर्ति एक स्थान पर रखी हुई है।

उपेक्षा हो रही है

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की ओर से महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान की लगातार उपेक्षा हो रही है। समिति संस्थान के कार्यों और गतिविधियों पर ध्यान ही नहीं दे रही है। संस्थान का संचालन महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के पास है, लेकिन इसे लेकर समिति गंभीर नहीं है।

वेदपाठी बच्चों को आेंकारेश्वर भेजा
महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में मां सरस्वती को प्राण-प्रतिष्ठा का इंतजार है, शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है, वहीं शोध संस्थान के ६० बच्चों को ओंकारेश्वर भेजा गया है। बताया जाता है कि वेदवाठी बच्चे एकात्म यात्रा के समापन और आदी शंकराचार्य के प्रतिमा के शिलान्यास कार्यक्रम में वेद पाठ करेंगे।

दो माह से वेतन नहीं मिला
महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में वैदिक शिक्षा और वेदपाठी अध्ययन के लिए ६ शिक्षक कार्यरत हैं। इन शिक्षकों को दो माह से वेतन ही नहीं मिला है। करीब दो माह पहले शिक्षकों को संविदा नियुक्ति/महाकाल समिति की सेवा में शामिल करने के प्रस्ताव को तत्कालीन मंदिर समिति प्रशासक ने अपनी टीप से विवादास्पद बना दिया था। नतीजतन वेतन पत्रक प्रस्तुत होने के बाद भी ६ शिक्षक का वेतन स्वीकृत नहीं हुआ है।

संगमरमर की है मूर्ति
लगभग चार माह पहले चिन्तामण गणेश स्थित महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में मां सरस्वती की मूर्ति प्राप्त की गई थी। मंदिर के सहायक प्रशासनिक अधिकारी दिलीप गरूड़ की प्रेरणा दिल्ली निवासी दानदाता संजय शर्मा की ओर से प्रदान राशि से संगमरमर की सरस्वती की मूर्ति जयपुर से तैयार कर लाई गई थी। मूर्ति को संस्थान के हॉल में रखकर कहा गया था कि इसकी प्रतिष्ठा बाद में की जाएगी। इसके बाद से मां सरस्वती को प्राण-प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा है।