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उन्हेल और नागदा मावे का गढ़, सबसे ज्यादा गड़बड़ी भी यहीं मिलती है…

सीजन में रोज 500 क्विंटल से ज्यादा का उत्पादन, जिले के अलावा इंदौर-मुंबई तक है खपत

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The stronghold of Unhel and Nagda Mawe, most of the disturbances are a

सीजन में रोज 500 क्विंटल से ज्यादा का उत्पादन, जिले के अलावा इंदौर-मुंबई तक है खपत

उज्जैन. देश में सप्लाई होने वाले मावे में उज्जैन जिले की बड़ी भूमिका है। यहां उन्हेल और नागदा को मावे का गढ़ माना जाता है। बड़ी आपूर्ति के कारण मावा बाजार में इनका जितना बड़ा नाम है, गड़बडिय़ों के कारण उतनी ही चर्चाओं में भी रहते हैं। उन्हेल व नागदा मावा बाजार के बड़े सप्लायर हैं। इनके अलावा बडनगऱ में भी कुछ बड़े व्यापारी हैं। इन तहसीलों से पूरे जिले में तो मावे की आपूर्ति होती ही है, देश के कई शहरों में भी यहीं से मावा सप्लाई होता है। यही कारण है कि मिलावटखोरी को लेकर बीते वर्षों में हुई कार्रवाईयों के बावजूद रोज बड़ी मात्रा में मावे का उत्पादन होता है। जानकार मानते हैं कि मिलावट पर रोक के लिए प्रमुख दुकान व कारखानों पर लगातार जांच होना चाहिए।
500 क्विंटल रोज होता है उत्पादन
जिले में मुख्य रूप से उन्हेल, नागदा और बडनगऱ बड़े बाजार हैं। यहां 13 बड़े निर्माता व ट्रेडर्स हैं। नागदा और उन्हेल में करीब 5 मावा बनाने के प्लांट हैं शेष बड़े ट्रेडर्स हैं जो आसपास के दूध व्यापारियों से मावा खरीदते और बाजार में सप्लाई करते हैं। शादी, त्योहारी सीजन में जिले से प्रतिदिन 500 क्विंटल से अधिक मावे का उत्पादन होता है। इसमें लगभग 50 फीसदी मावा अन्य शहरों में निर्यात होता है। मुख्य रूप से उज्जैन का मावा मुंबई निर्यात होता है जहां से अन्य मंडियों में आपूर्ति होती है। कुछ वर्ष पूर्व तक उज्जैन शहर में भी बड़ी संख्या में मावे की ट्रेङ्क्षडग होती थी लेकिन मिलावटखोरी को लेकर हुई कार्रवाईयों के बाद तीन-चार ट्रेडर्स ही कार्य कर रहे हैं।
कार्रवाई से हलचल, कम हुआ उत्पादन
उन्हेल में तीन बड़ी कार्रवाई के बाद जिले के मावा-घी बाजार में हलचल है। कुछ लोगों ने मावा निर्माण कम कर दिया है वहीं कुछ ने बाजार में सप्लाई कम कर दी है। यही वजह रही कि अज्ञात लोग बुधवार को चकरावदा में 1250 किलो मावा फेंककर गायब हो गए।