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इसलिए अटके तीन जोन के 80 नक्शे

सुविधा के लिए बनाए सॉफ्टवेयर में भी इंजीनियरों की मनमानी, आवदेक होते हैं परेशान

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सुविधा के लिए बनाए सॉफ्टवेयर में भी इंजीनियरों की मनमानी, आवदेक होते हैं परेशान

उज्जैन. अब घर बैठे पास होंगे नक्शे, नहीं लगाना पड़ेंगे नगर निगम जोन के चक्कर। इंजीनियरों को नक्शे के लिए घूस देना अब हुआ बंद, फाइल रोकी तो तय होगी जवाबदेही। कुछ इस तरह की शब्दावली नक्शे के ऑनलाइन सिस्टम शुरू होने दौरान आम चर्चाओं में रही, लेकिन धीरे-धीरे इंजीनियरों ने इस सिस्टम पर एेसा काकस बना लिया कि जब तक फाइल पर वजन नहीं पहुंचे वे क्लिक ही नहीं करते। या फिर कुछ भी खामियां निकालकर फाइल को रिजेक्ट कर देते हैं। इस पूरे सॉफ्टवेयर को निगम के इंजीनियर धता बता रहे हैं। निगम के जोन चार, पांच व छह मिलाकर ८० से अधिक नक्शे एक माह से पेंडिंग हैं। अन्य जोन में भी ये काम सिफारिश व दबाव-प्रभाव बगैर नहीं होता।
मैन्यूअल नक्शा फाइल में इंजीनियरों की मनमानी व कारस्तानी रोकने शासन ने सभी निकायों में ऑनलाइन अनुज्ञा सिस्टम लागू किया है, लेकिन इंजीनियरों ने इसे भी अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया। आला अधिकारियों की आकस्मिक चेकिंग व मॉनिटरिंग नहीं होने से इंजीनियर बेलगाम होकर काम रहे हैं। ताजा किस्सा कार्यपालन यंत्री रामबाबू शर्मा के १५ दिन अवकाश का है। इनके जाने पर एसई अशोक राठौर को जोनों का प्रभार था। लेकिन उन्होंने अवकाश काल में ऑनलाइन प्रस्तुत फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसके कारण नक्शे अटके हुए हैं। किसी जिम्मेदार अधिकारी ने जनता की इस समस्या पर संज्ञान तक नहीं लिया।
ना महापौर ने ली सुध, ना निगमायुक्त को चिंता- जनता से सीधे जुड़े इस काम को लेकर अरसे से ना तो महापौर ने काई समीक्षा बैठक की ना ही निगमायुक्त को इसकी चिंता है। यहीं कारण है निगम के उपयंत्री, डीसीसीआर सेल से लेकर भवन अधिकारी तक अपने हिसाब से काम करते हैं। जबकि सरकार की मंशा रहती है कि जनता से जुड़े नक्शे के काम बिना रुकावट के समयावधि में पास होना चाहिए।
ये है नक्शे की प्रक्रिया,
३० दिन में होना जरूरी
आवेदक लाइसेंसी आर्किटेक्ट के जरिए फाइल प्रस्तुत करता है।
७ दिनों के भीतर स्थल निरीक्षण कर फाइल को स्वीकृत या अस्वीकृति करना।
अस्वीकृति की दशा में संबंधित दस्तावेज की कमी व उचित कारण दर्शाना।
डीसीआर सेल के बाबू द्वारा दस्तावेज परीक्षण कर संबंधित अनुज्ञा पर लगने वाले शुल्क का निर्धारण।
भवन अधिकारी के एप्रूवल के बाद ऑनलाइन शुल्क जमा होता है।
शुल्क वेरिफिकेशन के बाद अनुज्ञा फाइल पर डिजिटल हस्ताक्षर होते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी स्थिति में ३० दिन से अधिक अवधि नहीं लगना चाहिए।
एेसे करते हैं लेतलाली, ताकी आवेदक परेशान हो
ऑनलाइन सिस्टम में कौन सी फाइल किसके पास पेंडिंग है यह दिखता है।
शुरुआती दौर में उपयंत्री लटकाते हैं, जब बात बन जाए तो फिर इइ लेवल पर पेंडेंसी।
जिन कामों में आर्किटेक्ट राशि मुहैया करा देते हैं वे काम समय से होने लगते हैं।
जिनमें आवेदक कुछ नहीं दे तो उन्हें दस्तावेजी कमी के नाम पर तंग किया जाता है।
जैसे फोटो साफ नहीं, रजिस्ट्री कॉपी ठीक से अपलोड करें, आर्किटेक्ट लाइसेंस लगाएं।
तंग होकर आवेदक खुद ही आर्किटेक्ट को कह देते हैं जो लगे आप बात कर लो, नक्शा जल्दी चाहिए।
नक्शे की कई फाइल तीन से चार माह तक निगम के ऑनलाइन सिस्टम में घूमती रहती है।
&भवन अनुज्ञा का काम समयावधि में पूर्ण हो इसके लिए सभी को निर्देश है। यदी कहीं रुकावट है तो जानकारी निकालकर यथोचित कार्रवाई करेंगे।
प्रतिभा पाल, निगमायुक्त