राज न बताने के कारण राजा कुछ कहता नहीं है, परंतु रानी के हठ के कारण वह अगले दिन रानी को राज बताने का तय करता है। यह बात इंद्र को परेशान करती है और वे मृत्युलोक आकर राजा को तीसरा मंत्र देते हैं और उसे संकट से निकालते हैं। नाटक में सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को अच्छे प्रस्तुत किया है। इसके पूर्व दीप प्रज्जवल डॉ. अवधेशपुरी महाराज, निगम सभापति सोनू गेहलोत, संस्कार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गणेश पंत रोड़े, श्रीपाद जोशी उपस्थित थे।