21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पंचमहाभूत का यह तत्व अब कॉलेज में भी पढ़ाया जाएगा

अंतरराष्ट्रीय सुजलाम जल महोत्सव सम्मेलन में देश के 32 कुलपतियों ने किया मंथन, पाठ्यक्रम बनाने के बिंदुओं पर की कांफ्रेंस

2 min read
Google source verification
This element of Panchmahabhoot will now be taught in college also

अंतरराष्ट्रीय सुजलाम जल महोत्सव सम्मेलन में देश के 32 कुलपतियों ने किया मंथन, पाठ्यक्रम बनाने के बिंदुओं पर की कांफ्रेंस

उज्जैन। तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय जल महोत्सव के सम्मेलन के बाद अब देश में महाविद्यालयों में जलसंरक्षण के विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी है। इसके लिए देश के ३२ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने कांफ्रेंस कर इसे पाठ्यक्रम मेंं शामिल करने वाले बिंदुओं को निकाला है। जिन्हें अगले दिनों में अपने-अपने विश्वविद्यालयों की समिति से चर्चा कर इन्हें पाठ्यक्रम के रूप मे शामिल किया जाएगा ।
देश में जल की कमी, प्रदूषण और इसके निवारण को देशज आधार पर किस तरह सुधारा जा सकता है को लेकर सुजलाम जल महोत्सव आयोजित हुआ था। इसमें भारतीय संस्कृति, परंपरा और प्राचीन जल मॉडल पर अध्ययन कर एक ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है । इसी सम्मेलन में देश के ३२ विश्वविद्यलाय के कुलपति भी शामिल हुए। इन्होंने जलतत्व को लेकर कांफ्रेंस की। जिसमें जलसरंक्षण के विषय को कॉलेज के पाठ्यक्रम में किस तरह शामिल किया जाए को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पर्यावरणविद डॉ अनुपम मिश्र ने बताया कि सम्मेलन में विद्वानों ने भारतीय प्रज्ञा में जल तत्व की महिमा का विस्तार से बताया। साथ ही रामचरितमानस में जल तत्व की भूमिका को भी समाहित किया। भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से जल तत्व के बारे में जानकारी भी एक-दूसरे का साझा की गई । इस आधार पर जलतत्व को वर्तमान शिक्षा नीति में शामिलम करने पर भी चर्चा की गई। आगामी दिनों में इन्हीं बिंदुओं पर शिक्षा नीति को शामिल करने का प्रयास रहेगा। बता दें कि सम्मेलन में देश भर से ३०७ विशेषज्ञों ने जलतत्व को लेकर चर्चा की और जलसंरक्षण को लेकर मसौदा तैयार किया। संभवत: अगले दो महीनों पर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा।
कॉलेजों में समितियां बनाएगी पाठ्यक्रम
सुजलाम जल महोत्सव में ३२ कुलपतियों की कांफ्रेंस में यह भी तय किया गया सम्मेलन से निकले बिंदुओं को अब कॉलेज स्तर पर बनी पाठ्यक्रम समिति के साथ साझा किया जाएगा। इसमें पर्यावरण के विषय के साथ जलतत्व को जोडक़र सम्मेलन में निकले भारतीय परिवेश के निकले मसौदे को शािमल करते हुए पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
पाठ्यक्रम में जलतत्व पर यह बिंदु
- भारतीय संस्कृति में जल का महत्व
- प्राचीन भारत में जल संरक्षण को लेकर किए प्रयोग
- देश के अति सूखे वाले क्षेत्र में जलसंरक्षण की प्राचीन ज्ञान।
- जलसंरक्षण की भारतीय व विदेशी योजना ओर उनके परिणाम
- पर्यावरण में पांच महाभूत का महत्व
इनका कहना
सुजलाम जल महोत्सव सम्मेलन में ३२ विश्वविद्यालयों की कुलपतियों की कांफ्रेंस हुई है। इसमें सम्मेलन में सामने आए जलतत्व व संरक्षण के बिंदुओं का पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया। विश्वविद्यालय से जुड़ी समितियां जल्द इन पर चर्चा कर निर्णय लेगी।
- विभाष उपाध्याय, उपाध्यक्ष, मप्र जन अभियान परिषद