
14 हजार कमाने वाले स्थायी कर्मी मनीष यादव व ससुर महावीर सिंह यादव के एक जैसे सरनेम का उठाया फायदा, त्रिवेणी विहार में खरीदा 25.61 लाख का एचआइजी भूखंड खरीदा, अब कीमत 75 लाख रुपए
जितेंद्रसिंह चौहान
उज्जैन. उज्जैन विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ व वर्तमान अनूपपुर जिला पंचायत सीईओ सोजानसिंह रावत ने पद के ‘रसूख’ का इस्तेमाल कर कर्मचारी कोटे में अपने ससुर महावीर सिंह यादव को बेशकीमती भूखंड दिलाने का मामला सवालों के घेरे में आ गया है। इसकी जांच रिपोर्ट संभागायुक्त के पास पहुंच गई है। अब आगे की कार्रवाई संभागायुक्त ही तय करेंगे। सीईओ रावत ने प्राधिकरण के स्थायीकर्मी मनीष यादव के नाम से त्रिवेणी विहार योजना में एचआइजी श्रेणी का भूखंड क्रमांक ए-16/7 कर्मचारी कोटे में 25.61 लाख रुपए में खरीदवाया। स्थायीकर्मी मनीष यादव का वेतन महज 14 हजार रुपए है, जिससे महंगा भूखंड खरीदने की क्षमता नहीं है। इसके चलते सीईओ ने ससुर से प्राधिकरण में रुपए जमा करवाए। चूंकि कर्मचारी और ससुर के एक ही सरनेम का लाभ उठाकर ससुर यादव ने प्रारंभिक रूप में 10 लाख रुपए (आरटीजीएस एसबीआईएनएच 22021102385 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ) अपने खाते से प्राधिकरण के खाते में जमा कराए। इसी भुगतान से खेल उजागर हुआ।
75 लाख बाजार में कीमत, खरीदा 25 लाख में
दरअसल, सीईओ रावत जिस भूखंड को अपने ससुर के लिए कर्मचारी कोटे से दिलाना चाहते थे, वह भले 25.61 लाख रुपए में खरीदा है लेकिन उसका बाजार मूल्य 75 लाख रुपए है। इधर, सीइओ रावत ने कर्मचारी कोटे से खरीदे भूखंड की रजिस्ट्री कराते उसके पहले स्थायीकर्मी यादव की पोल खुल गई।
कर्मचारी बोला- मेरे रिश्तेदार ने रुपए दिए
प्राधिकरण में दो साल पहले ही स्थायी हुए मनीष यादव ने कर्मचारी कोटे से त्रिवेणी विहार में एचआइजी श्रेणी का भूखंड 25.61 लाख रुपए में खरीदा। कर्मचारी यादव के भूखंड खरीदने में महावीरप्रसाद यादव द्वारा रुपए देने का सवाल पूछा तो वह बोला, मेरे रिश्तेदार ने भूखंड खरीदने के लिए रुपए दिए। कर्मचारी यादव यह बताने को तैयार नहीं है कि रिश्तेदार से संबंध क्या है। महावीर प्रसाद के बारे में कहना है, मेरी मां के रिश्ते में लगते हैं। क्या लगते हैं, यह बताने को तैयार नहीं।
नीलामी में नहीं खरीद सकते, इसलिए रचा ‘खेल’
प्राधिकरण में कर्मचारी कोटे के भूखंड खरीदने में प्रतिस्पर्धा नहीं होती है। भूखंड की जो दर तय होती है, उसी पर कर्मचारी को मिल जाता है। सूत्र बताते हैं, तत्कालीन सीईओ रावत ने कर्मचारी कोटे से भूखंड खरीदने का खेल रचाकर विभाग के स्थायीकर्मी मनीष यादव का उपयोग किया। चूंकि सीईओ स्वयं भूखंड खरीद नहीं सकते इसलिए ससुर के यादव सरनेम का फायदा उठाया। स्थायीकर्मी यादव को पहले भूखंड खरीदने की पात्रता की अनुमति दी। इस भूखंड को खरीदने के लिए कार्यपालन यंत्री केसी पाटीदार ने आवेदन किया था लेकिन उसे निरस्त किया गया। बाद में भूखंड स्थायीकर्मी यादव के नाम पर आवंटित हुआ। इसकी रजिस्ट्री तुरत-फुरत कर दी। बताते हैं भूखंड की रजिस्ट्री भी कर्मचारी यादव के पास नहीं है।
तत्कालीन सीईओ रावत पर उठ रहे सवाल
- स्थायीकर्मी मनीष यादव का वेतन 14 हजार रुपए होने के बावजूद उसे एचआइजी श्रेणी का भूखंड खरीदने की अनुमति कैसे दे दी। सरकारी कर्मचारी होने के नाते आय को स्रोत क्यों नहीं पूछा गया।
- यूडीए कर्मचारी होने से स्थायीकर्मी मनीष यादव को भूखंड खरीदने में अपने ही खाते से रुपए जमा करवाना था, दूसरे व्यक्ति के द्वारा जमा राशि को कैसे स्वीकार किया गया।
- स्थायीकर्मी यादव ने जिस भूखंड को लेकर आवेदन किया, उसको कार्यपालन यंत्री पाटीदार ने आवेदन किया था। सीईओ रावत ने पाटीदार के आवेदन को कांट-छांटकर शिप्रा विहार में भूखंड खरीदने की अनुमति दे दी। इसे निरस्त क्यों नहीं किया।
- सीईओ रावत पर अपने पद का दुरुपयोग कर स्थायीकर्मी को महंगा भूखंड दिलाने का रास्ता प्रशस्त किया।
रावत नहीं दे रहे जानकारी
स्थायीकर्मी मनीष यादव के कर्मचारी कोटे से खरीदे भूखंड में महावीरसिंह यादव के रुपए लगने ओर उनसे ससुर होने के सवाल तत्कालीन सीईओ सोजानसिंह रावत कुछ बोलने को तैयार नहीं है। पत्रिका ने उन्हें फोन लगाया तो रिसीव नहीं किया। वाट्सऐप पर संदेश भेजा तो उसका जवाब भी नहीं मिला।
इनका कहना
स्थायीकर्मी मनीष यादव ने कर्मचारी कोटे से खरीदे गए भूखंड में महावीरसिंह यादव के नाम से रुपए जमा हुए हैं। कर्मचारी के इतना महंगा भूखंड खरीदने से पहले आय का स्रोत पूछा जाना चाहिए था। इस संबंध में कर्मचारी के मिले जवाब और खरीदे भूखंड की फाइल संभागायुक्त व प्रशासक संदीप यादव को भेजी है। आगे की कार्रवाई वहीं से होगी।
- संदीप सोनी, सीइओ, उज्जैन विकास प्राधिकरण
Published on:
07 Jan 2023 12:57 pm
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