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मो. रफी की पुण्यतिथि : सुरों के सरताज के गीत गाना, इबादत करने जैसा…

10 वर्ष से बच्चों को नि:शुल्क सिखा रहे गीत-संगीत, देशभक्ति, भजन और कव्वालियों में रफी साहब की आवाज का कोई तोड़ नहीं

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उज्जैन. पाश्र्व गायक मोहम्मद रफी की रुमानी आवाज किसे पसंद नहीं। शायद ही कोई ऐसा विवाह समारोह हो, जहां उनके तराने न गूंजे हों। देशभक्ति, भजन और कव्वालियों में रफी की आवाज का कोई तोड़ नहीं था। 31 जुलाई १९८० का वह दिन, जब वे दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन उनके चाहने वालों के दिलों में वे हमेशा जिंदा रहेंगे। रफी की ३९वीं पुण्यतिथि पर पत्रिका ने शहर की ऐसी शख्सियत से चर्चा की, जो कई वर्षों तक मुंबई में उनकी समाधि के पास रहे। उनका कहना है, कि उनके गाने गाना, मेरे लिए किसी इबादत से कम नहीं। लोग इन्हें दूसरे मो. रफी कहकर बुलाते हैं। ये हैं आफाक हुसैन (सनी बाबा), जो पिछले 10 वर्ष में करीब 1500 बच्चों को नि:शुल्क रूप से संगीत और गायिकी की शिक्षा दे रहे हैं। विभिन्न संस्थाओं द्वारा 150 से ज्यादा अवॉर्ड रफी साहब के प्रोग्राम में मिल चुके हैं।

सेंटर पर लगी हैं रफी की कई तस्वीर

मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में बतौर राइटर रह चुके सनी बाबा को गीत-गजल और शायरी के साथ गाने का भी शौक है। उन्होंने बताया कि रफी साहब की आवाज मेरे दिल की गहराइयों को छू जाती है। उनके सेंटर पर लगी रफी साहब की अनेक तस्वीरें बयां कर रही हैं, वे उनके अनन्य भक्त हैं। मुंबई के सांता क्रूज वेस्ट पर जहां रफी साहब की समाधि है, वहां वे दिन-दिनभर बैठे रहते हैं। जिस मस्जिद में वे नमाज पढ़ते थे, वे भी वहां नमाज अदा करने पहुंच गए। उनके इस जुनून देखकर लोग भी आश्चर्यचकित रह गए थे। आज भी हर ईद पर रफी साहब के नाम पर गरीबों को नए कपड़े भेंट करते हैं और इबादत में सजदा करते हैं।

वे जिस हीरो के लिए गाते थे, उसी की आवाज लगती थी

यह कहना है डॉ. तेजकुमार मालवीय का। वे पिछले 15 वर्षों से रफी साहब की पुण्यतिथि पर गीत-संगीत का आयोजन कर रहे हैं। मालवीय ने बताया कि रफी की आवाज को बचपन से ही पसंद करते हैं। उनकी रुमानी आवाज में गाए गीत, जब भी सुनते हैं, सारी थकान उतर जाती है। 60-७० साल पुराने गीत आज मेरे यार की शादी है, चलो रे डोली, बाबुल की दुआएं लेती जा...विवाह समारोह में आज भी बजते हैं, वहीं बरातों में शान से बजने वाला गीत..बार-बार देखो-हजार बार देखो...पर कौन नहीं झूमना चाहता। उनके द्वारा गाए गीतों में रोमांटिक सांग, डूएट सांग, वेस्टर्न सांग व कव्वालियां आज भी पसंद की जाती हैं।