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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय के आगामी सत्र के बजट की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। बजट तैयार और अनुमोदन होने की प्रक्रिया फरवरी में पूरी हो जाती है। इस बार भी एेसा हो रहा था, लेकिन एकाएक कुलपति का इस्तीफा और फिर धारा 52 के चलते बजट अटक गया। नए कुलपति की नियुक्ति के बाद बजट सरकार को भेजा गया है। इसी बीच आचार संहिता प्रभावी हो गई। विवि के बजट में छात्रों को लाभान्वित करने वाली कई घोषणा होती है। एेसे में अधिकारी बजट पर अंतिम निर्णय निर्वाचन की अनुमति से ही लेंगे। एेसे में प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है और मौजूदा वित्तीय वर्ष खत्म होने में चार दिन का समय शेष है।
प्रशासनिक प्रक्रिया बेपटरी
विवि में विगत दो माह से प्रशासनिक प्रक्रिया बेपटरी हो गई। विवि कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे ने वित्त समिति की बैठक और कार्यपरिषद की बैठक को एक दिन पहले स्थगित कर दिया। इसके बाद उन्होंने ७ फरवरी को इस्तीफा दे दिया। कुलपति का कार्य संभालने के लिए डॉ. बालकृष्ण शर्मा को जिम्मेदारी मिली। वह काम पूरा शुरू करते इससे पहले १५ फरवरी को धारा 52 लग गई। इसके बाद डॉ. बालकृष्ण शर्मा अवकाश पर चले गए। प्रभारी कुलपति के रूप में प्रो. एमएस परिहार ने तेजी से काम किया, लेकिन उनके सामने में भी वित्तीय अधिकारों की समस्या बनी रही। करीब एक माह बाद धारा 52 के तहत फिर डॉ. बालकृष्ण शर्मा की नियुक्ति हुई और काम पटरी पर आना शुरू हुए।
वेतन तक का संकट हो गया
विक्रम विवि के कर्मचारियों को मार्च माह का वेतन तक का संकट हो गया था। विवि में धारा 52 लग गई। एेसे में कुलपति पद का अवसान हो जाता है। नए कुलपति का चयन नहीं हुआ। एेसे में शिक्षक, कर्मचारियों का वेतन रुक गया। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया। उनकी तरफ से पत्र मिलने के बाद कर्मचारियों को वेतन दिया गया। इसी तरह अगर 31 मार्च तक बजट अनुमोदित नहीं हुआ तो विवि के सामने आगामी खर्च की समस्या बन जाएगी।
Published on:
27 Mar 2019 07:10 am
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