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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली अब विद्यार्थियों को परेशान कर रही है। लगातार एेसे मामले देखने में आ रहे है, जिसमें अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी नियमों और अध्यादेश पर भारी पड़ रही है। विद्यार्थी खुद की मदद के लिए न्यायालय तक पहुंच रहे हैं, लेकिन न्यायालय के आदेश के बावजूद भी रास्ता निकाल कर विद्यार्थियों को परेशान करने से नहीं चूका जा रहा है। एक एेसा ही मामला बीएएमएस के विद्यार्थी का है, जो डेढ़ साल से नामांकन के लिए भटक रहा है। विद्यार्थी तीन बार आदेश ले आया है, लेकिन हर बार विवि अधिकारियों ने समय मांगा और नामांकन नहीं किया।
पहले दिया गलत एडमिशन, अब लौटा नहीं रहे फीस
विक्रम विवि में दो छात्राओं ने बायोकेमिस्ट्री में प्रवेश के लिए आवेदन दिया। विवि के अधिकारियों ने उन्हें केमिस्ट्री में एडमिशन दे दिया। जब छात्राएं कक्षा में पहुंची तो आश्चर्य में पढ़ गई। उन्होंने जब अपनी समस्या बताई तो कहा कि बायोकैमिस्ट्री में छात्रसंख्या कम है। इसलिए कोर्स बंद कर दिया है। छात्राओं ने अपनी फीस मांगी और एडमिशन निरस्त करवा लिया। विवि ने कोर्स बंद किया और गलत फीस ली। एेसे में नियमानुसार फीस वापस भी होनी चाहिए। जनवरी २०१८ तक फीस वापस होने की फाइल चली, लेकिन अंतिम टेबल पर आकर फाइल को गुमा दिया गया। छात्रा हर दिन ११ हजार फीस वापस लेने के लिए चक्कर लगा रही है। गुरुवार को छात्रा विवि पहुंचे तो संकायाध्यक्ष छात्रकल्याण के ऑफिस में फाइल मिली।
क्या है मामला
चित्रकूट के कॉलेज के बीएएमएस विद्यार्थियों का न्यायालय के आदेश पर विक्रम विवि में स्थानांतरण हुआ। कुछ विद्यार्थियों के पास दस्तावेज का अभाव था। इसके चलते वह विवि में नामांकन नहीं करवा सकें। इसके बाद उन्होंने जब कुलपति से सम्पर्क किया तो उन्होंने मना कर दिया। कई दिनों तक भटकने के बाद विद्यार्थी आनंद कुमार पाण्डे ने न्यायालय की शरण ली। यहां से नामांकन करने का आदेश हुआ। विवि की तरफ से समय मांगा गया। यह प्रक्रिया तीन बार हो चुकी है। बुधवार को एक बार फिर आनंद कुमार पाण्डे अपने दस्तावेज लेकर अधिकारियों के पास पहुंचा और अपने भविष्य की गुहार लगाता रहा, लेकिन हर कोई ऊपर की तरफ इशारा करते रहे।
एेसे भी हुए प्रकरण
विवि में जुलाई २०१५ में काफी विद्यार्थी पीएचडी कोर्स वर्क व अध्ययनशाला की फीस जमा करने से वंचित रह गए। मंदसौर के विधायक ने हस्तक्षेप किया तो अधिकारियों ने फीस लिंक खोलने के इनकार दिया। इसके बाद काफी दिनों तक विवाद हुआ।
अधिकारियों के घर पर भोजन बनाने नहीं पहुंचने पर गेस्ट हाउस के खाना बनाने वाले दरियाव सिंह को हॉस्टल में चपरासी बना दिया। जबकि दरियाव खाना बनाने के पद पर नियुक्त है। यह इकलौता पद गेस्ट हाउस में है।
पीएचडी प्रवेश परीक्षा २०१६ के शिक्षा विषय का रिजल्ट आज तक जारी नहीं हुआ। इस प्रकरण में विवि की तरफ से कोई भी जानकारी नहीं दी गई। बता दें कि शिक्षा संकाय विभाग पूर्व कुलपति रामराजेश मिश्र से जुड़ा हुआ है।
एनएससी की वार्षिक रिपोर्ट पर प्रमुख अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं। विवि में एनसीसी अधिकारी शिक्षक संघ अध्यक्ष कनिया मेड़ा हैं। यह भी विवि अधिकारियों के निशाने पर हैं। एनएससी की फाइल पर दो माह तक कुलपति कार्यालय से हस्ताक्षर नहीं हुए। जब कई बार रिमाइंडर आया तो कुलसचिव कार्यालय ने फाइल को भेज दिया।
Published on:
23 Feb 2018 05:33 pm
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