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उज्जैन में टिकट कटने के बाद पारसजी एकांतवास में क्यों चले गए…यह है उनका दर्द

सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर कहा- मेरे सम्मान को पहुंची ठोस, विश्वास में लेकर देते टिकट

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सोशल मीडिया पर कहा- पार्टी मां के समान इससे बढक़र कोई नहीं

उज्जैन उत्तर से अनिल जैन कालूहेडा का टिकट होने पर भारी मन से स्वागत कर मोहनखेड़ा तीर्थ दर्शन के लिए निकले पारस जी।

उज्जैन। छह बार के विधायक और दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे पारस जैन को संगठन की ओर से टिकट नहीं दिए जाने पर अपना दर्द सोशल मीडिया पर बयां किया। उन्होंने टिकट नहीं देने पर संगठन पर विश्वास में नहीं लेने और आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसी बात कही। बावजूद इसके उन्होंने पार्टी को मां बताते हुए जनता से भाजपा को विजय बनाने की अपील की।
पारस जैन ने सोशल मीडिया फेसबुक पर शहरवासियों और पार्टी का आभार और धन्यवाद जताते हुए अपने दर्द को भी सांझा किया है। उन्होंने लिखा कि मुझे इस बात का दुख नहीं है कि मुझे दोबारा चुनाव लडऩे का मौका नहीं मिला क्योंकि अवसर सभी को मिलना चाहिए, लेकिन उज्जैन उत्तर से छह बार विधायक और एक वरिष्ठ कार्यकर्ता होने के नाते मुझसे एक बार पूछा जाता या मुझे विश्वास में लेकर बताया जाता तो मेरे सम्मान को इतनी ठेस नहीं पहुँचती। उन्होंने अपने कार्यकाल को यूं बयां करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुन्दरलाल पटवा नेे कहा था कि पारस जी, आपने राजनीति में सफेद चादर के साथ प्रवेश किया है और आप सफेद चादर के साथ ही जाएंगे। साथ ही कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमारी माँ है और माँ से बढक़र कोई नहीं है। मैंने एक कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी और आज भी मैं अपना कार्य अपनी पार्टी के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में करता रहूँगा। उन्होंने जनता से विधानसभा चुनाव में अपना मूल्यवान वोट भाजपा को देने की भी बात कही। टिकट कटने के बाद पारस जैन मोहनखेड़ा तीर्थ पर दर्शन के लिए निकल गए। सोमवार को उज्जैन उत्तर में चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के दौरान भी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के साथ नहीं दिखे। बताया गया कि वे तीर्थ यात्रा पर चले गए।
ट्रस्ट बनाकर करेंगे सेवा कार्य
टिकट नहीं मिलने के बाद पारस जैन ने अपनी अगली कार्य योजना का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि जनसेवा का जो कार्य मुझे भाजपा और संघ ने सिखाया वो आगे भी निरंतर जारी रहेगा। पारस जैन फाउंडेशन के नाम से एक छोटे से ट्रस्ट की स्थापना कर गरीब और ज़रूरतमंदों की मदद करता रहूँगा। मेरे बाद भी ये ट्रस्ट सेवा के कार्य को आगे बढ़ाएगा।
१९९० से लड़ रहे चुनाव
पारस जैन 1990, 1993, १९९८, 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़े । इनमें छह बार चुनाव जीते। सिर्फ १९९८ में ही एक बार कांग्रेस के राजेंद्र भारती से चुनाव हारे। जैन को ऊर्जा, शिक्षा मंत्री भी बनाया गया।