
लगातार ठंड का मौसम बने रहने से हृदयघात और थक्के जमने के मामलों में 15 प्रतिशत तक बढ़ोतरी, युवाओं में भी कोरोना के बाद अटेक का खतरा बढ़ा
उज्जैन. लगातार बनी हुई ठंड दिल पर भारी पड़ रही है। हाल ही में शहर के एक वरिष्ठ चिकित्सक को हार्ट अटैक हुआ और कुछ ही मिनट में उनकी मृत्यू भी हो गई। अटैक इतना गंभीर था कि उन्हें अस्पताल ले जाने का भी समय नहीं मिला। हृदय घात का यह अकेला मामला नहीं है। कोरोना के पोस्ट इफैक्ट और ठंड के मौसम ने हृदयघात व मस्तीष्क में खून के थक्के जमने के मामले काफी बढ़ा दिए हैं। स्थिति यह है कि अस्पतालों के आइसीयू में अधिकांश मरीज हृदयघात या ब्रेन स्ट्रोक की समस्या से संबंधित हैं।
अमूमन जनवरी मध्य के बाद मौसम में ठंड का असर कम होने लगता है लेकिन इस बार पूरा महीना ठंडा रहा। रात का तापमान ४ डिग्री सेल्सिय तक पहुंचा वहीं कोल्ड डे भी कई रहे। यह मौसम हृदय रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। शहर में ही रोज हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक के दर्जनों मामले सामने आ रहे है वहीं इनमें से कई मरीजों की मौत भी हो रही है। विशेषज्ञ चिकितस्कों के अनुसार लगातार ठंड बनी होने से मरीजों की संख्या बढ़ी है। पूर्व वर्षों की तुलना में इस बार हृदयघात व ब्रेन स्ट्रोक के माममलों में १५ प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी जा रही है। एेसे में वरिष्ठ नागरिक व बीपी, शुगर आदि के मरीजों को विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। जिला अस्पताल आइसीयू प्रभारी विशेषज्ञ डॉ. अजय निगम ने बताया कि वर्तमान में आइसीयू के सभी बेड फूल हैं। इनमें से अधिकांश कार्डिक मरीज हैं।
कोरोना के कारण भी बढ़ रहे केस
हृदयरोग विशेषज्ञ प्रो. डॉ. विजय गर्ग बताते हैं लगातार ठंड बनी होना हृदयरोगियों के लिए नुकसानदायक है। इस वर्ष हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक या नसों से संबंधित केस काफी बढ़े हैं। ठंड के साथ ही इसका एक कारण कोरोना के बाद के साइड इफैक्ट भी सामने आया है। कोरोना में खून गाढ़ा हो जाता है जिससे अटैक या स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. गर्ग के अनुसार, इस प्रकार के मरीजों में करीब २५ प्रतिशत युवा हैं। इनमें से अधिकांश की हिस्ट्री में उनका कोरोना पॉजिटिव होना पाया गया है। इसलिए वृद्धों के साथ ही युवाओं को भी हृदय को लेकर विशेष सतर्कता रखने की आवश्यकता है। यदि हर्ट या ब्रेन संबंधित समस्या संबंधित छोटा सा भी संकेत मिलता है तो इसे गंभीरता से लें और चिकित्सक से जांच अवश्य करवाएं।
हृदयघात व लकवे का खतरा अधिक
डायबिटीज व हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. एचपी सोनानिया बताते हैं अधिक समय तक ठंड का मौसम बना रहने से हृदयघात, लकवा, ब्रेन स्ट्रोक या अस्थमा मरीज को सांस लेने में तकलीफ का खतरा बढ़ जाता है। इस प्रकार के मामले में भी लगातार सामने आ रहे हैं। डॉ. सोनानिया के अनुसार ठंड में खून गाढ़ा होने और नस में जमने से यह खतरा बढ़ता है। दिसंबर-जनवरी में लगातार ठंड का मौसम रहने से मरीजों की संख्या भी काफी बढ़ी है। यदि मरीज को हृदय में दर्द की समस्या होती है तो वह तुरंत सार्बिटेड ५ एमजी टेबलेट जुबान के नीचे रख सकते हैं जिससे उपचार करने का समय मिल जाता है।
यह रखें सावधानी
- बुजुर्ग लोग ठंड से बचे। रात को बाहर न निकलें। सुबह घूमने जाते हैं तो थोड़ा देरी से जाएं। सुबह जल्दी घर से न निकलें। जिन बुजुर्गों को बीपी, शुगर आदि की समस्या हैं, वे इसका विशेष ध्यान रखें।
- रात के समय टॉयलेट के एकदम बिस्तर से बाहर न निकलें। अच्छा हो कि टॉयलेट कमरे के अंदर ही बना हो, कमरे से बाहर निकलने से बचें।
- युवाओं सहित जिन लोगों को कोरोना हुआ है, वे समय-समय पर रक्त की जांच करवाएं और पता करें कि रक्त गाढ़ा तो नहीं हो रहा है। - रक्त सामान्य से अधिक गाढ़ा होने पर चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
- जिन लोगों की रक्त पतला करने, हाई-लो बीपी या शुगर की दवाइयां चल रही हैं, वे यह दवाईयां समय पर अनिवार्य रूप से लें। इसमें थोड़ी भी कोताही न बरतें। - यदि सीने में अचानक तेज दर्द उठता है तो सार्बिटेड ५ एमजी टेबलेट जुबान के नीचे रख लें।
-हृदय संबंधित समस्या होने पर इसे नजरअंदाज न करें, इसीजी या अन्य जरूरी जांच करवाएं और चिकित्सक से परामर्श लें।
(जानकारी चिकित्सकों से चर्चा के अनुसार)
Published on:
31 Jan 2022 10:40 pm
बड़ी खबरें
View Allउज्जैन
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
