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महिलाओं को अब नहीं सहना पड़ेगी चरक अस्पताल में जिल्लत

स्टाफ को ट्रेनिंग देकर सिखाए जाएगें डिलेवरी के दौरान गर्भवती महिलाओं से बात करने के तौर-तरीके

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।उज्जैन १० लाख की लागत से चरक अस्पताल के लेबर रूम और ओटी को नया स्वरूप दिया जाएगा। इसके साथ यहां पदस्थ स्टाफ को डिलेवरी के लिए पहुंची गर्भवती महिलाओं से बात करने के तौर-तरीके सुधारने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि यहां होने वाली डिलेवरी के दौरान प्रसूताओं को सुखद अहसास हो।


चरक अस्पताल में हर रोज २०- २५ डिलेवरी होती है। अधिकांश केसेस में गर्भवती महिलाओं की शिकायत रहती है कि यहां मौजूद स्टाफ द्वारा दुव्र्यहार किया जाता है। जिस वजह से मरीज और परिजन निजी अस्पताल चले जाते है। इस प्रकार के व्यवहार पर अंकुश रखने के लिए चरक अस्पताल प्रबंधन ने हाल में कार्यरत स्टाफ में बड़ा फेरबदल किया है। गर्भवती महिलाओं से डिलेवरी के दौरान बात करने के तौर-तरीके सिखाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग दिए जाने का मन बनाया है। जिसके अंर्तगत नर्सिंग स्टाफ को डिलेवरी के दौरान प्रसव पीड़ा से बेहाल महिलाओं से बात करने और बेहतर व्यवहार के जरिए मानसिक उपचार देने के बारे में बताया जाएगा।


१० लाख की लागत से दिया जाएगा नया स्वरूप
चरक अस्पताल के ओटी और लेबर रूम को १० लाख की लागत से नया स्वरूप प्रदान किया जाएगा। जिसके अंतर्गत यहां पर्दे, दिवारों के रंग, डिलेवरी में उपयोग किए जाने वाले हाईटेक संसाधन खरीदे जाएगें। कार्पाेरेट हॉस्पिटल की तर्ज पर यहां लेबर रूम और ओटी में सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगीं।
रैफर संख्या घटाने का लक्ष्य
वर्तमान में चरक अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं में से ५० फिसदी महिलाओं हाई रिस्क रहती है। जिसके चलते अधिकांश महिलाओं को रैफर करना पड़ता है। जिसके चलते ओटी रूम को हाईटेक करने का निर्णय लिया गया है। ताकि रैफर संख्या को कम किया जा सके।
महिलाओं को नहीं सहना पड़ेगा दुव्र्यहार
चरक अस्पताल में ज्यादातर शिकायते गर्भवती महिलाओं के साथ दुव्यर्वहार की मिलती है। जिस वजह से बेहतर उपचार मिलने के बाद भी महिलाओं को दुव्र्यहार की शिकायत बनी रहती है। जिसके चलते स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि वे महिलाओं से बात करने के तरीके सुधार सकें। इसके अलावा १० लाख की लागत से लेबर रूम और ओटी के पर्दे, चादर आदि को बदला जाएगा। रंग रोगन कर नया स्वरूप देंगे। इसके अलावा डिलेवरी के लिए आवश्यक संसाधनों को खरीदा जाएगा।
डॉ.राजू निदारिया, सिविल सर्जन