19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शोर से परेशान मोर – कैसे बदल रहे अपनी जगह

वल्ड नेचर कन्जर्वेशन डे - ध्वनि प्रदूषण से शहरी क्षेत्र से राष्ट्रीय पक्षी का होने लगा पलायन, सावन में झूमते मयूर को देखने को तरसे शहरवासी, जिले में बढ़ी है मोर की संख्या, 8 से 9 हजार मोर होने का अनुमान  

2 min read
Google source verification
peacock

peacock

उज्जैन. भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर रूप और गुण में अतुलनीय है। मोर की सुंदरता को उसके इंद्रधनुष के समान पंख बढ़ाते है। बरसात के मौसम में जब यह पक्षी पंख फैलाकर नाचता है, तो हर कोई इस सुंदर नजारे का आनंद लेना चाहता है। उज्जैन निगम सीमा के अंदर यह नजारे पहले काफी आम हुआ करते थे, लेकिन बढ़ते ध्वनि प्रदूषण (शोरगुल) के चलते राष्ट्रीय पक्षी ने अपने क्षेत्र से पलायन करना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी भी उज्जैन जिले में करीब 8 से 9 हजार मोर हैं। इनकी संख्या का स्पष्ट आंकड़ा नामुकिन है, लेकिन वन विभाग की दस्तावेजी प्रक्रिया के अनुसार मोर संख्या के आंकड़ों में गिरावट नहीं आई है।

शांत वातावरण में समूह में घूमते हैं मोर

मोर घने जंगल में शांत वातावरण में रहता है। इसी के साथ मोर की समूह में रहने की प्रवृत्ति है। इसमें कई मादा के साथ दो से तीन नजर रहते हैं। नगर निगम सीमा में कोठी रोड पर मोर संरक्षण क्षेत्र था, लेकिन यहा पर अब दिनभर भीड़ रहती है। इस कारण मोर पलायन कर विक्रम विवि कैम्पस की तरफ और पशु विभाग के ऑफिस के तरफ ही दिखाई देते हैं। इसी तरह हामूखेड़ी, जंतर-मंतर, इंदौर रोड पर शांति पैलेस के पीछे, त्रिवेणी और प्रशांतिधाम, अंकपात, गढ़कालिका मंदिर के पास मोर दिखाई दे जाएंगे।

नए मयूर वन की तैयारी

कोठी रोड पर मोर संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया, लेकिन शुकर की समस्या के चलते एेसा नहीं हो सका। विवि प्रशासन ने कई प्रस्ताव तैयार किए, जो फेल हुए। अब प्रशासन ने विक्रम वाटिका के स्थान पर नया मयूर वन बनाया जा रहा है। यहां मोर की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। यहां मोर के बीच आम लोग भी भ्रमण के लिए पहुंचे सकेंगे।

गांवों में भी 10 से 15 मोर

नगर निगम सीमा क्षेत्र में मोर की संख्या भले ही सीमित हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में मोर की संख्या बढ़ी। मंगरोला और राघवपिपलिया दो गांव एेसे हैं जहां मोर की संख्या ज्यादा है। इसी के साथ अन्य गांव में १० से १५ मोर हैं। वन विभाग के अधिकारी जीबी मिश्रा का कहना है कि मोर की स्थिति का आंकड़ा समय-समय पर लिया जाता है। पिछले कई वर्षों में मोर की संख्या बढ़ी। इसका कारण लोगों में जागरूकता आना है। शहरी क्षेत्र में कोठी क्षेत्र में मोर आसानी से दिखाई जाएंगे। यहां भी 20 से 25 मोर हैं।