
उज्जैन. श्रद्धालुओं से दर्शन-पूजन और जल अर्पण के नाम पर जो शुल्क वसूली तथा मनमानी का रवैया अपनाया जा रहा है। यह ठीक बात नहीं है। लोग दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं। उन्हें यहां से अच्छी सौगात मिलना चाहिए, न कि मन दुखी करके वह यहां से जाए। मंगलनाथ मंदिर में जो जल अर्पण के नाम से 100 रुपए शुल्क लिए जा रहे हैं, यह सरासर गलत है।
आस्था के केंद्र मंगलनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने को लेकर भी काफी जद्दोजहद करना पड़ती है। श्रद्धालुओं को एक लोटा जल अर्पण करने के भी 100 रुपए शुल्क देना पड़ रहे हैं। वहीं गर्भगृह के बाहर जो परिक्रमा पथ है, उसमें भी कई तरह की बाधा डाल रखी हैं। जिसके कारण श्रद्धालुओं को परेशान होना पड़ता है। इस संबंध में पत्रिका ने जनप्रतिनिधियों से चर्चा की, तो उनका कहना था कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से शुल्क लेना ठीक नहीं है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत नहीं होना चाहिए। शासकीय मंदिर में इस तरह की मनमानी नहीं होना चाहिए।
धर्म और आस्था के केंद्र में यह नहीं हो
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने इस संबंध में कहा कि लोग अपने परिजन के लिए मंगल दोष निवारण पूजा या भात पूजा के लिए जब यहां आते हैं तो मंदिरों के साथ-साथ हमारे शहर की रौनक भी बढ़ती है। उनसे कदम-कदम पर शुल्क लेना गलत है। धर्म और आस्था के केंद्र वाले इस नगर में ऐसा नहीं होना चाहिए। इस मामले को मैं स्वयं दिखवाता हूं।
बिना चर्चा शुल्क ले रहे, ये मनमानी है
उत्तर क्षेत्र के विधायक व पूर्व मंत्री पारस जैन ने कहा कि जनप्रतिनिधियों से बिना कोई चर्चा किए मंदिरों में दर्शन-पूजन के शुल्क ले रहे, ये तो मनमानी वाली बात है। ऐसा नहीं होना चाहिए। मंगलनाथ मंदिर में 100 रुपए लेकर जल चढ़ाने की व्यवस्था लागू कर दी गई है, जो कि हर व्यक्ति वहन नहीं कर सकता, इसलिए मैं इसका विरोध करता हूं।
Published on:
19 May 2022 06:18 pm
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