
छह साल से फाइलों में दबा है बड़ा तालाब का मास्टर प्लान, 1500 से अधिक अतिक्रमण बचा रहे अधिकारी
भोपाल/ मास्टर प्लान 2005 में बिल्डरों ने अपने हित में लैंडयूज में मनमर्जी के बदलाव तो कराए, लेकिन बदलाव के साथ टीएंडसीपी की और से जोड़ीशर्तें नहीं मानी गई। नतीजा ये रहा कि बड़ी बिल्डिंग-कॉलोनियां तो विकसित हो गई, लेकिन सडक़, मल-जल निकासी जैसे जरूरी सुविधाओं का विकास नहीं करने से दिक्कत बढ़ गई। मास्टर प्लान 2031 में भी लो-डेंसिटी एरिया में एफएआर बढ़ाने, आवासीय में मिक्सलैंड यूज करके आबादी व बाजार विकसित करने के प्रावधान किए गए हैं, लेकिन तय शर्तोँ का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई की व्यवस्था नहीं है। इससे भविष्य में दिक्कत आ सकती है।
ऐसे समझे बदलाव
- 28 अक्टूबर 2014 को ग्राम बरखेड़ी खुर्द की 1.809 हेक्टेयर जमीन की लो-डेंसिटी जमीन को शैक्षणिक संस्थान बनाने के लिए सार्वजनिक एवं अद्र्ध सार्वजनिक के तौर पर बदला गया। इसमें जलमल निकासी की पूरी व्यवस्था की शर्त के साथ वृक्षों की संख्या यथावत रखने जैसी शर्ते थी। यहां शैक्षणिक संस्थान तो विकसित हो गए, लेकिन शर्तोँ का पालन नहीं। पूरा क्षेत्र दिक्कत में है।
- 17 सितंबर 2013 को ग्राम भौंरी में 4.09 हेक्टेयर कृषि भूमि को कॉलेज के लिए बदला गया। यहां एक सरकारी रास्ते को 12 मीटर करना, नाले पर पुल का निर्माण सीपीए की मंजूरी और मॉनीटरिंग में कराने, रेलवे की जमीन पर कोई काम नहीं करने जैसी शर्ते थी। कोई भी पालन नहीं की गई, पूरा क्षेत्र आज टै्रफिक और बारिश में जलभराव से दिक्कत में है।
- 17 अप्रैल 2015 में कोलार के बैरागढ़ चिचली में कृषि भूमि पर कॉलोनियां बनाने अनुमतियां जारी कराई। यहां 6.67 हेक्टेयर जमीन की कृषि व नहर की जमीन पर आवासीय अनुमतियां जारी कराई। इसमें शर्त थी कि 4.4 मीटर चौड़े कोलार मुख्यमार्ग से जुडऩे वाले रास्ते को 24 मीटर चौड़ा करना। नहर के पूर्व दिशा में तीन मीटर चौड़ रोड को 18 मीटर चौड़ी करना।
इसी तरह नहर के पश्चिम दिशा में जाने वाले 5.6 मीटर चौड़े रास्ते को 18 मीटर चौउ़ा करना, नहर के दोनों और केरवा नदी के किनारे तक खुला क्षेत्र रखना जैसी शर्त थी। यहां बिल्डिंग, कॉलोनियां विकसित हो गई, सडक़ें चौड़ी नहीं की, अब ट्रैफिक और अन्य दिक्कतें बन रही है।
कलियासोत-केरवा में न बढ़े एफएआर
पूर्व सिटी प्लानर दिनेश शर्मा का कहना है कि शहर के किनारे बड़ा जंगली क्षेत्र है। पहले के मास्टर प्लान में यहां किसी भी तरह की गतिविधि या निर्माण की अनुमति प्रतिबंधित है। यहां सिर्फ फोरेस्ट कॉटेज के नाम पर 0.06 एफएआर ही है। इसके तहत दस हजार वर्गफीट पर महज 600 वर्गफीट निर्माण की अनुमति ही मिलती है। इसे बना रहने दिया जाए। इसमें छेड़छाड़ शहर किनारे जंगली क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ाएंगा, जिससे वनक्षेत्र को खतरा बनेगा।
मुख्यमंत्री देखेंगे तभी जारी होगा प्लान
भोपाल मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 के लिए मुख्यमंत्री जल्द ही बैठक करेंगे। गौरतलब है कि टीएंडसीपी ने इसे 30 नवंबर तक जारी करना तय किया था, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे लेकर बैठक करना तय किया। पहले इसके लिए नौ जनवरी की तारीख तय की थी, लेकिन बैठक नहीं हो पाई। अब जल्द ही नई तारीख तय कर मास्टर प्लान का प्रजेंटेशन देखेंगे, इसके बाद ही इसे जारी किया जाएगा। संयुक्त संचालक सुनीतासिंह का कहना है कि हमारी पूरी तैयारी है। शासन की और से जैसे निर्देश मिलेंगे, उसके बाद जारी किया जाएगा।
Published on:
18 Jan 2020 11:16 am
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