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mount everest : जीवन में लक्ष्य एवरेस्ट से भी ऊंचा रखें, तभी मिलेगी सफलता

होप इन द डार्कनेस विषय पर माउंटेनियर भावना डेहरिया (mount everest) का लाइव सेशन

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भोपाल। द इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सप्लोरेशन, कलकत्ता की ओर से आयोजित कार्यक्रम में माउंटेनियर भावना डेहरिया(everester) का 'होप इन द डार्कनेस' विषय पर लाइव सेशन हुआ। इस मौके पर भावना ने कहा कि एवरेस्ट (mount everest) चढ़ाई के दौरान मेरा ऑक्सीजन रेगुलेटर खराब हुआ तब भी मन में मौत का डर नहीं था, बल्कि मैं मिशन की सफलता के बारे में सोच रही थी। मैंने अपना सफर जारी रखा। इसी से कामयाबी मिली।

संक्रमण के इस दौर में आज कई लोग डिप्रेशन से गुजर रहे हैं
भावना(everester) ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के इस दौर में आज कई लोग डिप्रेशन से गुजर रहे हैं। इंसान को किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। अगर डिप्रेशन हो तो प्रॉब्लम के बारे में सोचने की बजाय सॉल्यूशन पर फोकस करें। क्योंकि प्रॉब्लम के बारे में ही सोचेंगे तो न सिर्फ मानसिक तनाव बढ़ेगा बल्कि लक्ष्य से भी भटक जाएंगे। जीवन हमेशा कठिनाइयों से भरा होता है। ऐसे में चुनौतियां का सामना करना सीखना होगा। उन्होंने कहा कि एवरेस्ट यात्रा पर जाना मेरे लिए इतना ऐसा आसान नहीं था। इसके लिए मैंने कई कोर्स किए। फंड जुटाना भी एक बड़ी समस्या थी। इसके लिए मुझे 4 साल तक संघर्ष करना पड़ा।

इस फील्ड में बढ़ रही जॉब ऑर्पच्यूनिटी
लाइव सेशन के दौरान एक व्यूअर ने पूछा कि हम कैसे माउंटेनियर बन सकते हैं। भावना(everester) ने बताया कि इस फील्ड जॉब ऑर्पच्यूनिटी भी बहुत हैं। भावना ने बताया कि मैं अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोजिअस्को और एकांकागुआ, साउथ अमेरिका की चढ़ाई भी कर चुकी हूं। मैं एल्पस, यूरोप की तैयारी शुरू करने वाली थी। तभी लॉकडाउन लग गया। ऐसे में तैयारियां तो प्रभावित हुई है, लेकिन मैंने हार नहीं मानी है। जैसे ही परिस्थितियां ठीक होंगी, मैं मिशन में जुट जाऊंगी। इस मौके पर एवरेस्ट यात्रा के 45 दिनों की जर्नी के वीडियो भी शेयर किए गए। जिसे व्यूवर्स लाइव देख रहे थे।