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CHAITRA NAVRATRI 2023: उन्नाव में मां चंडिका और मां अंबिका स्वयं उत्पन्न हुई, जाने पौराणिक महत्व

CHAITRA NAVRATRI 2023: मां चंडिका और मां अंबिका आदिशक्ति हैं। जिनके दरवाजे से सटकर मां गंगा बहती है।

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CHAITRA NAVRATRI 2023: उन्नाव की मां चंडिका और मां अंबिका स्वयं उत्पन्न हुई, जाने पौराणिक महत्व

CHAITRA NAVRATRI 2023: उन्नाव की मां चंडिका और मां अंबिका स्वयं उत्पन्न हुई, जाने पौराणिक महत्व

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गंगा नदी के किनारे स्थित मां चंडिका देवी के दर्शन के लिए दूर जिलों से लोग आते हैं। यहां स्थापित मूर्ति मां चंडिका और मां अंबिका अपने आप उत्पन्न हुई है। मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि जो भी भक्त गंगा स्नान के बाद माता के दर्शन करता है। मां उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं।

मां चंडिका देवी बक्सर की महिमा पुराणों में भी लिखी हुई है। जिसमें लिखा गया है कि मेघा ऋषि ने यहां पर राजा सूरथ और समाधि वैश्य को मां दुर्गा की कथा सुनाई थी। यही कथा दुर्गा सप्तशती के नाम से जाना जाता है। मां चंडिका देवी धाम में चंडिका और अंबिका के रूप में दो विग्रह स्थापित हैं। जिनका मुंह मां गंगा की तरफ है।

महाभारत काल के दौरान बलराम भी आ चुके

मंदिर के पुजारी ने बताया कि तपस्वी वक्र ऋषि का यहां पर आश्रम था। महाभारत काल के दौरान यहां पर 'बलराम' आ चुके हैं। पहले यहां पर जंगल था। राजा राव राम बक्श सिंह ने मंदिर का निर्माण कार्य कराया। अंग्रेजों ने उन्हें फांसी देने के बाद यहां पर काफी तोड़फोड़ किया। लेकिन माता के नजदीक नहीं आ पाए।

शोभन सरकार ने मंदिर का निर्माण कराया

स्वामी सत्संगा महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उसके बाद उनके शिष्य शोभन सरकार ने मंदिर को भव्य रूप दिया। जो आज भी भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मां चंडिका देवी का प्रसाद काफी प्रसिद्ध है। यहां का खोवा और चीनी की कुशली लोगों की पहली पसंद है।

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कैसे पहुंचे मां चंडिका देवी धाम

मां चंडिका देवी धाम सड़क मार्ग से जुड़ा है। यह रायबरेली, फतेहपुर, कानपुर आदि जिलों से जुड़ा है। उन्नाव से अचलगंज, लाल कुआं होते हुए माता के दरबार पहुंचा जा सकता है। लखनऊ से भी मौरावां, बिहार, सुमेरपुर होते हुए भक्तगण आ सकते हैं। फतेहपुर बांदा से भी सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। उन्नाव से माता का दरबार लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।