
,गोकुल बाबा: भोले को प्रिय है सावन का महीना, जाने मंदिर का इतिहास और विशेषताएं
भोले बाबा को प्रिय सावन का महीना आते ही भक्तों में उत्साह की लहर दौड़ जाती है। विभिन्न रूपों में भक्त भोले बाबा को मनाने में लग जाते हैं। उन्नाव शुक्लागंज कानपुर राजधानी मार्ग पर स्थित गोकुल बाबा मंदिर में वैसे तो 12 महीने भीड़ होती है। लेकिन सावन के महीने में यहां पर भक्तों की लंबी लंबी कतारें लगती हैं। शिवालय के अंदर काफी जगह है। जहां भक्त शिवजी का जलाभिषेक करने के साथ पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है और यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुई है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि भक्तों को पूजा अर्चना में किसी प्रकार की असुविधा न हो इसकी पूरी तैयारी की गई है। सभी भक्तगण लाइन में खड़े होकर बाबा के दर्शन करने के साथ जलाभिषेक पूजा अर्चना करते।
गोकुल बाबा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। मंदिर के स्थापना गोकुल सिंह ने कराया था। कार्तिक महीने की छठी को यहां पर विशाल मेला लगता है। यह मेला अधूरे विवाह उत्सव के नाम पर लगता है और लोग मनौती मांगते हैं। मनोकामना पूरी होने के बाद महिलाएं चावल हल्दी का लेप बनाकर मठ लेपन करती हैं। मान्यता है गोकुल सिंह गाय चराने जाते थे। एक स्थल पर जाकर गाय का दूध स्वत: गिरने लगता था। देखते देखते यह चर्चा गांव में फैल गई। बताते हैं कि गोकुल सिंह को सपना आया कि यहां शिवालय बनवा दे। जिस पर गोकुल सिंह ने यहां शिवालय बनवाया और आगे चलकर मंदिर का नाम गोकुल सिंह के नाम पर ही गोकुल बाबा पड़ गया।
पुजारी ब्रजभूषण बाजपेई ने दी जानकारी
गोकुल बाबा मंदिर के पुजारी ब्रजभूषण बाजपेई ने बताया कि यहां की शिवलिंग स्वयं प्रकट हुई है। स्थापना के समय भक्तों ने मंदिर शिवलिंग की खुदाई की। लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं मिला। इसके बाद वहीं पर मंदिर बनवा दिया गया। उन्होंने बताया कि सच्चे मन से जो बाबा की पूजा करता है। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन के महीने में भक्तों को आसानी से दर्शन हो जाए। इसकी भी व्यवस्था की गई है। मंदिर में जलाभिषेक के साथ रुद्राभिषेक के अनुष्ठान साल भर चलते हैं। सावन के महीने को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
Published on:
19 Jul 2022 09:11 am
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