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उन्नाव रेप आरोप: विधायक कुलदीप सेंगर ‘एक केस में बाइज्जत बरी’ दिल्ली कोर्ट ने सुनाया फैसला

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की एक कोर्ट ने बाईज्जत बरी कर दिया है. कुलडेप सेंगर को दिल्ल्ली कोर्ट ने रेप पीडिता के सड़क हादसे मामले से कुलदीप सेंगर और उनके साथ अन्य लोगों को भी बरी कर दिया है.

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पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
उन्नाव. उत्तर प्रदेश विधानसभा से निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और पांच अन्य को सोमवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के साथ सड़क हादसा मामले में बरी कर दिया गया। दिल्ली की एक अदालत ने उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने आदेश में कहा, "पीड़िता या उसके सदस्यों को जान से मारने की धमकी देने की आपराधिक साजिश के संबंध में कुलदीप सिंह सिंगर को आरोपित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है। उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है।" आपको बताते चलें उन्नाव का ये एक ऐसा मामला था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था. सेंगर के अलावा उनके सहयोगी ज्ञानेंद्र सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, रिंकू सिंह और अवधेश सिंह को भी इस मामले में बरी कर दिया गया है।

हालांकि, आरोपी आशीष कुमार पाल, विनोद मिश्रा, हरिपाल सिंह और नवीन सिंह पर आईपीसी की धारा 506 (2) के साथ-साथ आईपीसी की 34 के तहत आरोप लगाए गए थे। मामला 28 जुलाई, 2019 को एक दुर्घटना से संबंधित है, जब एक ट्रक उस वाहन से टकरा गया था जिसमें दुष्कर्म पीड़िता, उसका वकील और दो रिश्तेदार रायबरेली जा रहे थे। दुष्कर्म पीड़िता और वकील को गंभीर चोटें आईं, जबकि दो अन्य की मौके पर ही मौत हो गई।

दुर्घटना के संबंध में सेंगर और नौ अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इससे पहले, उन्हें दिसंबर 2019 में उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराया गया था और 25 लाख रुपये के जुर्माने के अलावा उन्हें जीवन भर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

बांगरमऊ सीट से विधायक सेंगर २०१७ में जीते थे

उन्नाव की बांगरमऊ सीट से भाजपा के पूर्व विधायक सेंगर पर 2017 में राजनीतिक तूफान पैदा करने वाला दुष्कर्म का आरोप लगा था।

साथ ही मार्च 2020 में, एक विशेष अदालत ने सेंगर, उनके भाई अतुल सिंह और पांच अन्य को 2018 में उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत से जुड़े दो मामलों में 10 साल की कैद की सजा सुनाई थी। निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद कुलदीप सेंगर को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया और विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।