
ग्लोबल वार्मिंग क्या है और इससे जनजीवन कैसे प्रभावित होता है, जानते हैं डॉक्टर की राय
मनुष्य के स्वस्थ जीवन में पर्यावरण एकमात्र घर है। जो हवा भोजन पानी और अन्य जरूरतों को प्रदान करता है। औद्योगिकरण और बदलती जीवन शैली के परिणाम स्वरुप अब धरती का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर आरके दीक्षित ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जंगलों को काटना, नदियों को गंदा करना, वातावरण को प्रदूषित करना आदि के कारण हम प्रकृति का अस्तित्व खत्म करने के साथ अपने लिए भी खतरनाक वातावरण बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते पर्यावरण संरक्षण हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। तो भविष्य में पर्यावरण की शुद्धता पर खतरा और अधिक बढ़ सकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 5 जून को लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 का पर्यावरण दिवस का नारा "केवल एक पृथ्वी' है। डॉक्टर आरके दीक्षित ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पर्यावरण असंतुलन से ओजोन परत को भी संकट में डाल दिया है। ओजोन परत के संबंध में उन्होंने बताया कि यह पराबैगनी किरणों (ultraviolet rage) से समस्त जीव-जंतुओं पेड़ पौधों की रक्षा करती है।
एक दिन की जागरूकता से कुछ नहीं होगा
उन्होंने अपने संदेश में कहा कि मात्र एक दिन पर्यावरण दिवस मना कर पर्यावरण संरक्षण नहीं किया जा सकता है। इसके लिए हम सबको मिलकर युद्ध स्तर पर प्रयास करने चाहिए। विश्व में आधुनिक वाद के संसाधनों ने मनुष्य के इर्द-गिर्द की हवा को इतना जहरीला बना दिया है कि विश्व की भावी पीढ़ियों को शुद्ध वायु शायद भी नसीब होगी। पवित्र नदियां भी वर्तमान में मूल अस्तित्व को खो चुकी हैं।
पर्यावरण को शुद्ध स्वच्छ रखने के उपाय
पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखने के लिए डॉक्टर आरके दीक्षित कहा कि हमें नियमों का पालन करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए इसके साथ ही पेड़ों की कटाई को तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक निर्मित थेलियां पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर देना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को प्रशिक्षित करके एनवायरमेंट फ्रेंडली कीटनाशक के प्रयोग के प्रति जागरूक करना चाहिए।
Published on:
05 Jun 2022 08:07 pm
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