
'सरगी' के साथ सास और बहू का रिश्ता
Karwa Chauth Special 'Sargi': करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। लखनऊ गोमती नगर स्थित कोनेश्वर मंदिर के पंडित शक्ति मिश्रा ने बताया कि इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। सरगी एक प्रकार का आशीर्वाद होता है, जिसमें सास अपनी बहू को फल, मिठाइयां, मेवे, खीर और अन्य सेहतमंद खाद्य पदार्थ खिलाती हैं।
उन्होने कहा कि सरगी की रस्म सास और बहू के बीच के रिश्ते को मजबूत बनाती है। सास इस अवसर पर अपनी बहू को आशीर्वाद देती हैं, जिससे बहू को व्रत के दौरान कठिनाई का सामना न करना पड़े। यह परंपरा सिर्फ भोजन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सास और बहू के बीच प्रेम और सम्मान का प्रतीक भी है। जिन महिलाओं की सास नहीं हैं, वे अपनी जेठानी या अन्य बड़ी महिलाओं से सरगी ले सकती हैं, जो इस परंपरा को जीवित रखती हैं।
सरगी खाने का सही समय सूर्योदय से लगभग दो घंटे पहले तक होता है। इस साल 20 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06:25 बजे होगा, इसलिए महिलाएं इससे पहले सरगी का सेवन कर सकती हैं। यह महत्वपूर्ण है कि महिलाएं इस समय के भीतर अपनी सरगी ग्रहण करें, ताकि वे निर्जला व्रत रखने के लिए तैयार रहें।
पंडित शक्ति मिश्रा ने कहा कि करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 बजे से 7:02 बजे तक रहेगा। चंद्रोदय का समय शाम 7:54 बजे होगा, जिसके बाद महिलाएं चंद्रमा को देखकर अपना व्रत खोल सकती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं अपना उपवास समाप्त करती हैं और पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हैं।
निर्जला उपवास रखने से महिलाओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में सरगी खाने से मिली ऊर्जा व स्वास्थ्य उनके लिए सहायक साबित होती है। यह उन्हें पूरे दिन ऊर्जा देती है और उन्हें अपने व्रत को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद करती है।
करवा चौथ का पर्व न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह सास और बहू के रिश्ते को भी मजबूत बनाता है। सरगी खाने की परंपरा इस रिश्ते की मिठास को बढ़ाती है और एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं अपनी मेहनत से व्रत को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करती हैं, जिससे वे अपने पति के लिए दीर्घकालिक सुख की कामना करती हैं।
सरगी खाने का सही समय करवा चौथ के दिन सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पहले तक होता है। इस साल करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा, और सूर्योदय का समय सुबह 06:25 बजे है। इसलिए, महिलाओं को सरगी का सेवन 20 अक्टूबर को सुबह 04:25 बजे से पहले करना चाहिए। सरगी खाने से उन्हें व्रत के दौरान पर्याप्त ऊर्जा मिलती है, जो उन्हें निर्जला उपवास को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद करती है।
सरगी में वह भोजन शामिल किया जाता है, जो महिलाओं को करवा चौथ के उपवास के दौरान ऊर्जा और पोषण प्रदान करे। यहाँ कुछ सामान्य खाद्य पदार्थ हैं जो सरगी में खाए जा सकते हैं:
केला
सेब
अनार
अंगूर
नारंगी
सूजी की हलवा
खीर (चावल या सेवई की)
लड्डू (गुड़ या बेसन के)
बर्फी
बादाम
अखरोट
काजू
पिस्ता
दही या चाट, जो शरीर को ठंडक और ऊर्जा देती है।
नमकीन, जैसे चिवड़ा या भुजिया
खाकरा या पापड़
दूध
छाछ
लस्सी
सरगी में सेवन किए जाने वाले खाद्य पदार्थों को सास या परिवार की बड़ी महिलाएं खास कर सेहत और पोषण के ध्यान में रखते हुए तैयार करती हैं। यह आशीर्वाद का प्रतीक होता है और इसे ध्यान से चुना जाता है, ताकि व्रती महिलाएं पूरे दिन ऊर्जा और सेहतमंद महसूस कर सकें।
सरगी बनाने का समय करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले होता है, ताकि महिलाएं इसे सुबह सूर्योदय से पहले खा सकें। इस साल करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा, और सूर्योदय का समय सुबह 06:25 बजे है।
सरगी को सुबह के खाने से पहले, यानी सूर्योदय से लगभग 1-2 घंटे पहले तैयार करना उचित होता है।
यदि महिलाएं सुबह 04:25 बजे तक सरगी खा सकती हैं, तो इसे सुबह 03:00 से 04:00 बजे के बीच तैयार करना अच्छा रहेगा।
प्लानिंग: पहले से तय करें कि क्या-क्या पकाना है।
सामग्री तैयार करना: सभी सामग्री, जैसे फल, मिठाइयाँ, मेवे, दही आदि, पहले से खरीद लें।
पकाने की तैयारी: अगर कोई खास पकवान बनाना है (जैसे खीर या हलवा), तो उसे तैयार करने की प्रक्रिया शुरू करें।
सर्विंग: सभी चीजों को अच्छी तरह से प्लेट में सजाकर तैयार करें ताकि सास या परिवार के बड़े सदस्य इसे अपनी बहू या व्रति को आशीर्वाद के साथ परोस सकें। इस तरह से तैयार की गई सरगी न केवल खाने के लिए स्वादिष्ट होगी, बल्कि यह एक धार्मिक और पारिवारिक परंपरा का हिस्सा भी होगी।
Updated on:
13 Oct 2024 03:10 pm
Published on:
13 Oct 2024 12:29 pm
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